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वार्षिक महोत्सव
2019

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शिशिर की एक शाम, नृत्य-नाट्योत्सव के नाम

नवंबर 17, 2019 मिसीसागा -
टोरोंटो में पिछले ग्यारह वर्षों से अपने एक से एक स्तरीय नाटकों, कवि-सम्मेलनों, गोष्ठियों, परिचर्चाओं, बाल-प्रतिभा विकास और साँस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से हिन्दी भाषा और साहित्य का प्रचार-प्रसार करने वाली दानार्थी, लाभ-निर्पेक्ष संस्था, हिन्दी राइटर्स गिल्ड का ग्यारहवां वार्षिक कार्यक्रम इस रविवार, नवंबर 17, 2019 को मिसीसागा के पोर्ट क्रेडिट हाई स्कूल में ३ बजे से ६ बजे के बीच सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
लोगों ने पौने तीन बजे से सभागार में बैठना प्रारंभ कर दिया था। कार्यक्रम शुरू होने से पहले, संगीत की धुनों के साथ मंच पर लगी स्क्रीन पर, संस्था के पूर्व कार्यक्रमों की अनेक झलकियाँ, कार्यकर्ताओं के चित्र, स्पांसरों के नाम प्रोजेक्टर के माध्यम से उभर रहे थे जिन्हें सहायक मंडल की निदेशिका और इस पूरे कार्यक्रम की सह संयोजिका पूनम चंद्रा ’मनु’ ने संयोजित किया था। इन चित्रों ने गिल्ड की अब तक की अनेक उपलब्धियों को लोगों के सामने साकार कर दिया।
कार्यक्रम में आए दर्शकों का सादर अभिनंदन डॉ. शैलजा सक्सेना ने ’सियाराममय सब जग जानी, करहुँ प्रणाम जोरि जुग पानी (महाकवि तुलसी रचित)’ दोहे से किया और माँ सरस्वती की वंदना करने के लिए मराठी समाज में गीत, संगीत और रंगमंच में सक्रिय श्रीमती मेधा दाते जी को आमंत्रित किया। मेधा जी की भाव डूबी मधुर आवाज़ में दर्शकों ने भी माँ सरस्वती को अपने भाव-पुष्प अर्पित किए। मुख्य अतिथि आचार्य ज़ैनजी निओ का गुलाब के फूलों से स्वागत करते हुए डॉ. शैलजा ने उनका परिचय दिया। हिंदी साहित्य के मंच पर एक अहिंदी नाम के प्रति दर्शकों की उत्सुकता को शांत करते हुए और साहित्य को धर्म से जोड़ते हुए शैलजा जी ने कहा कि साहित्यकार समाज को ’राम-राज्य’ जैसे मानवीय मूल्यों का सपना सौंपता है और समाज के कर्मवीर उस सपने में रंग भरते हैं। आचार्य ज़ैनजी निओ इसी प्रकार के समाजसेवी हैं और टोरोंटो में इस समय वे बौद्ध धर्म, समुराई शाखा के आधिकारिक प्रवक्ता है, मोटिवेशनल स्पीकर होने के साथ ही वे मानवता के सैनानी हैं। ये कार्य वे अपनी संस्था ’कैनन इनिशिएटिव’ के अध्यक्ष के रूप में अनेक चैरिटेबल संस्थाओं को सहयोग और समर्थन देने के द्वारा करते हैं जिसके माध्यम से नेपाल की ह्यूमन ट्रैफ़िकिंग, भारत की भूख तथा गरीबी, अन्याय के विरुद्ध काम किया जाता है। श्री ज़ैनजी निओ को भारत के राष्ट्रपति डॉ. कलाम के द्वारा गोल्ड मेडल प्राप्त हुआ है और उन्हें कनाडा सरकार के अनेक मंत्रालयों, ओलंपिक-पैरा ओलंपिक आदि जगहों पर मुख्य वक्ता के रूप में बुलाया जाता हैं। ऐसे प्रसिद्ध मुख्य अतिथि का सभी ने उत्साह से स्वागत किया। आचार्य ज़ैनजी ने संस्कृत के महत्त्व को बताते हुए, विदेश में हिंदी के प्रचार-प्रसार में लगी संस्था हिन्दी राइटर्स गिल्ड के कार्यक्रम में आने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने पूरा भाषण हिंदी में दिया जो बहुत प्रभावशाली रहा। उन्होंने साहित्य को समाज की धरोहर बताते हुए हिन्दी राइटर्स गिल्ड को अनेक रचनात्मक कार्य करने पर बहुत बधाई दी और आगे के लिए शुभकामनाएँ भी दीं। हिंदु धर्म से निकले बुद्ध धर्म की करुणा को लेकर चलना मनुष्य का कर्तव्य बताते हुए उन्होंने तक्षशिला और नालंदा के बौद्ध विहारों में पढ़ाए जाने वाले सदधर्म पुंडरीक के संस्कृत श्लोक सुनाए साथ ही बुद्ध धर्म की महायान शाखा और जापान में अपने मंदिर और म्यूज़ियम आदि की संक्षिप्त जानकारी भी दी।
इसके पश्चात् मंच संचालन के लिए डॉ. शैलजा सक्सेना ने संस्था की परिचालन निदेशिका श्रीमती कृष्णा वर्मा को बुलाया। कृष्णा जी ने गिल्ड द्वारा प्रारंभ किए गए ’सरस्वती सम्मान’, जो कि अवैतनिक, अनवरत हिन्दी प्रचार-प्रसार के कार्यों के लिए दिए जाता है और अनवरत, उत्कृष्ट साहित्य सृजन के लिए दिए जाने वाले ’साहित्य सृजन सम्मान’ के विषय में बताया और 2019 से पूर्व जिन हिन्दी प्रेमियों को ये सम्मान दिया जा चुका है, उनके नाम भी दर्शकों को बताए। इस वर्ष ‘साहित्य सृजन सम्मान- 2019’ ऑटवा निवासी गीतकार डॉ. जगमोहन हूमर को प्रदान किया गया। वे व्यवसाय के स्तर पर ऑटवा, कनाडा की कार्लटन यूनिवर्सिटी में भूकम्प विशेषज्ञ के रूप में पढ़ा रहे हैं और टोरंटो के विश्वप्रसिद्ध स्काईडोम के निर्माण कार्य में भी इनका योगदान रहा है। वे पिछले 20 वर्ष से अधिक हिन्दी में सृजन कार्य कर रहे हैं। इनके गीत अनेक संग्रहों, पत्र-पत्रिकाओं में छप चुके हैं और एक कविता-संग्रह भी ’जीवन के रंग’ नाम से आ चुका है। इन्होंने कई वर्षों तक 'अंकुर 'नामक हिंदी और अंग्रेज़ी की द्विभाषिक पत्रिका का सम्पादन भी किया। मंच पर आमंत्रित किये जाने पर श्री हूमर जी ने कहा कि हिन्दी राइटर्स गिल्ड द्वारा सम्मान मिलना उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके उपरांत उन्होंने प्रेम के अनेक आयामों पर लिखे अपने कुछ गीतों का सस्वर पाठ किया जिन्हें दर्शकों ने बहुत सराहा।
इस वर्ष का ’सरस्वती सम्मान’, पिछले 22-23 वर्षों से इंटरनेट, अनेक संस्थाओं, पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से हिन्दी साहित्य से हिंदी प्रेमियों को जोड़ने, स्थानीय लेखकों की पुस्तकें प्रकाशित करवाने, २००३ से साहित्य कुंज.नेट वेब पत्रिका के संपादन कार्य में नि:स्वार्थ भाव से लगे हिन्दी राइटर्स गिल्ड के निदेशक श्री सुमन कुमार घई जी को प्रदान किया गया। उत्तरी अमरीका में हिन्दी के प्रसार में लगे लोगों में अग्रगण्य सुमन जी ने ई-पुस्तक बाजार.कॉम की स्थापना भी की है ताकि लोग अच्छी किताबें सरलता से डाउनलोड कर के पढ़ सकें। उनका कहानी-संग्रह ’लाश एवं अन्य कहानियाँ’ भी ई-पुस्तक के रूप में प्रकाशित हो चुका है। सुमन जी ने सम्मान प्राप्ति पर अपने संक्षिप्त वक्तव्य में अपने परिवार के सदस्यों को धन्यवाद दिया जिनके कारण वे अपने प्रिय काम कर पाए। उन्होंने माँ सरस्वती को धन्यवाद देते हुए कहा कि प्रकृति हमें कुछ क्षमताएँ देकर, निश्चित संभावनाओं के रास्तों पर चलाती हमारी नियति तय कर देती है। अपने हिन्दी के कार्यों की संक्षिप्त रूप-रेखा बताते हुए उन्होंने हि.रा.गि. के सदस्यों का धन्यवाद किया जिनके विश्वास के कारण वे मंच पर उपस्थित थे।
इसके बाद कृष्णाजी ने कार्यक्रम के प्रायोजकों को धन्यवाद देते हुए कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री संदीप कुमार जी को पिछले वर्ष की गतिविधियों की रिपोर्ट पढ़ने के लिए बुलाया। संदीप कुमार ने रिपोर्ट पढ़ने के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जहाँ एक ओर दर्शक इस के माध्यम से संस्था के कामों से परिचित होते हैं, वहीं संस्था भी अपने कामों को बेहतर स्तर पर ले जाने के लिए उत्साहित होती है। उन्होंने मासिक गोष्ठियों में हुए पुस्तक विमोचनों, साहित्य चर्चाओं, होली कार्यक्रम, हिन्दी दिवस, कवि सम्मेलन आदि पर प्रकाश डाला। यूँ तो इस वर्ष संस्था की हर मासिक गोष्ठी महत्त्वपूर्ण रही थी पर अतिथि के रूप में डॉ. रोहिणी अग्रवाल द्वारा कहानी लेखन की संगोष्ठी और श्रीमती परमजीत डिओल के पंजाबी कविता-संग्रह के हिन्दी रूपांतर के विमोचन कार्यक्रम विशिष्ट रहे।
इस उत्सव के सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन, सहायक निदेशक मंडल के निदेशक और काश्मीरी पृष्ठभूमि पर रचनाएँ करने वाले श्री विद्याभूषण धर द्वारा किया गया। नृत्य-नाट्योत्सव का यह हिस्सा ताल अकादमी द्वारा प्रशिक्षित एक कत्थक नृत्य द्वारा प्रारंभ हुआ। विद्या जी ने उत्तर भारत और राजस्थान से जन्में इस नृत्य का परिचय देते हुए बताया कि भावपूर्ण मुद्राओं में थिरकते हुए कथा कहने को कत्थक या कुशिलव कहा जाता था। अनुष्का हरनाल और वैदेही सदरानी ने अपने सुंदर नृत्य से दर्शकों को बाँध लिया। भावम, रागम और तालम के भ, र, और त अक्षरों की संयुक्ति से बने दक्षिण भारत में विशेष प्रचलित भरतनाट्यम का संक्षिप्त परिचय देते हुए विद्या जी ने श्रीमती जोवानी रत्नराजा की शिष्यों रितु बहादुर, मल्लिका तुषाकिरण और उमा सलादी को इस नृत्य की प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया। श्रीमती रत्नराजा टोरोंटो में पिछले अनेक वर्षों से भारतम एकादमी ऑफ इंडियन डांसेज़ के माध्यम से अनेक नृत्यांगनाओं को पारंगत कर चुकी हैं।
अगली प्रस्तुति नाटक थी। भरत मुनि के नाट्यशास्त्र का संदर्भ देते हुए विद्या जी ने बताया कि लोकचेतना को दृश्य काव्य रूप में प्रस्तुत करना ही नाटक होता है। संस्था की वरिष्ठ सहायक निदेशिका श्रीमती आशा बर्मन और श्री सुरेश पांडे जी ने हास्य श्रुति नाटक ’शादी का इंटरव्यू' प्रस्तुत किया जो पर्याप्त मनोरंजक रहा। श्रुति नाटक की परंपरा बंगाल में अधिक है जहाँ पात्र बैठ कर भाव से अपने संवाद पढ़ते हैं। हिंदी मंच से इस नए प्रयोग को करने के लिए आशा बर्मन जी की बहुत सराहना की गई।
शास्त्रीय नृत्यों के साथ ही प्रसिद्ध लोक-नृत्य लावणी को मंच पर प्रस्तुत किया गया। महाराष्ट्र में यह नृत्य ढोलकी की ताल पर स्त्रियों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। मराठी रंगमंच से जुड़ी नमिता दांडेकर और कल्पना नाडकर्णी ने लावणी नृत्य की सुंदर प्रस्तुति से दर्शकों को मोह लिया।
कार्यक्रम के अंत में विद्याभूषण धर जी ने एक नए प्रयोग, गीत-नाटिका ’दूसरी दुनिया’ का परिचय दिया जिसकी संकल्पना, कहानी और अभिनय डॉ. शैलजा सक्सेना का था और इस गीतों भरी कहानी के गहरे गीतों को लिख कर अपने मधुर, भावपूर्ण स्वर में गाया, टोरोंटो की प्रसिद्ध कवियत्री और शास्त्रीय संगीत गायिका मानोशी चैटर्जी ने! इस नाटक में निर्देशन सहयोग दिया, रंगकर्म में निष्णात श्री प्रकाश दाते जी ने और पूरी कहानी को सजीव कर देने वाला संगीत श्री दीपक संत जी ने दिया था। एक स्त्री के बचपन से लेकर प्रौढ़ावस्था तक की यह कहानी घटनाओं के स्थान पर भाव और विचार की रेखाओं पर प्रस्तुत की गई थी जिसमें स्थिति और भावानुरूप गीत और संगीत दर्शकों की संवेदना को चरम पर ले जाने में समर्थ हुए। सभी दर्शकों ने नाटक के अंत में खड़े होकर नाटक की सराहना की। यहाँ यह कहना आवश्यक है कि टोरोंटो के दर्शक हिन्दी राइटर्स गिल्ड के स्तरीय नाटकों को देखने की प्रतिवर्ष प्रतीक्षा करते हैं।
कार्यक्रम के अंत में श्री विद्याभूषण धर ने हिन्दी राइटर्स गिल्ड के सभी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया और पूरी टीम और स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं को मंच पर बुला कर दर्शकों से उनका परिचय करवाया। इसके पश्चात् सभी अतिथियों ने स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया। हिन्दी राइटर्स गिल्ड का ग्यारहवां वार्षिक महोत्सव दर्शकों के मन को पुन: साहित्य और कला से जोड कर आनंदित करते हुए सफलतापूर्वक संम्पन्न हुआ।
- आशा बर्मन और डॉ. शैलजा सक्सेना

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