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होली मिलन
विशेष

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हिन्दी राइटर्स गिल्ड द्वारा आयोजित ऑनलाइन कवि गोष्ठी

16 मार्च 2021 की शाम को हिन्दी राइटर्स गिल्ड की ऑनलाइन मासिक गोष्ठी संपन्न हुई। यह ‘होली मिलन’ का एक विशेष कार्यक्रम था, जिसमें एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
इस करोना काल में ज़ूम संगोष्ठी का होना एक बड़ी उपलब्धि है । इससे दूर दूर स्थानों से हिंन्दीप्रेमी परस्पर जुड़ सके तथा परस्पर एक दूसरे की रचनाओं का आनंद ले सके |
सर्वप्रथम पूनम चंद्रा ‘मनु’ ने हिन्दी राइटर्स गिल्ड के सभी उपस्थित सदस्यों का स्वागत करते हुए होली की शुभकामनाएँ दीं । इसके पश्चात् श्रोताओं को यह बताया कि किन कारणों से हिन्दी राइटर्स गिल्ड की मासिक सभा गोष्ठी 3 महीने के पश्चात् हो रही हैं । इसका महत्वपूर्ण कारण तो यह था कि हिन्दी राइटर्स गिल्ड में के सदस्यों ने जनवरी में दो महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के ‘फेसबुक लाइव’ का आयोजन किया और उसमें व्यस्त रहे | इसमें पहला था 'साहित्य कुंज' के ‘फीजी विशेषांक’ का लोकार्पण और दूसरा भारत के शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल को हिन्दी राइटर्स गिल्ड के द्वारा दिया गया सम्मान | इसके पश्चात् मनु जी ने इस कार्यक्रम के संचालन का भार श्रीमती प्रीति अग्रवाल को सौंपा| प्रीति जी ने अत्यंत उत्साह से संचालन का कार्य आरम्भ किया और सभी श्रोताओं को होली की शुभकामनाएं दीं | इस कार्यक्रम में सभी कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से काव्य के विभिन्‍न रसों की कविताओं द्वारा अनेक भावों के रंगों से श्रोताओं को आनंदित किया |
सर्वप्रथम श्री भगवत शरण श्रीवास्तव जी को मंच पर आमंत्रित किया गया, जिन्होंने प्रेम रंग में रंगी एक कविता सुनाई जिसकी पहली पंक्ति थी,’ बांसुरी की तान में होली में नाम गूंजता तुम्हारा’ उनकी मधुर कविता पाठ के पश्चात् श्री किशोर कांत द्विवेदी जी ने जीवन से संबंधित एक गजल सुनाई ‘सब समझ पाते ऐसे इल्म क्यों होते नहीं’ जिसे श्रोताओं ने बहुत पसंद किया |
इसके बाद श्रीमती अचला दीप्ति कुमार ने अपनी एक हास्य कविता 'मेरे काव्य का इतिहास' पढ़ी | होली के अवसर पर इस हास्य कविता ने सबको बहुत हँसाया |
इसके पश्चात् श्रीमती इंदिरा वर्मा ने अपनी दीदी स्वर्गीय श्रीमती राजकुमारी सिन्हा जी की एक शांत रस से परिपूर्ण कविता सुनाई, जिसमें ईश्वर को चित्रकार के रूप में वर्णित किया गया था |
श्रीमती उषा रानी बंसल जी ने होली की ठिठोली से भरपूर एक कविता पढ़ी और लोगों का मनोरंजन किया |
इसके उपरांत श्री योगेश ममगाईं जी ने प्रकृति और मनुष्य के द्वंद से संबंधित एक कविता पढ़ी जिसकी प्रथम पंक्ति ने ही लोगों को बहुत प्रभावित किया 'बरसों का दर्द भीतर उसने छुपाया होगा, जाकर तब उसने एक सैलाब उठाया होगा|’
श्रीमती स्नेह सिंघवी जी ने भी ’साथ’ नामक एक कविता से सबको शृंगार रस से रंग दिया |
इसके बाद श्रीमती सरोजिनी जौहर जी ने ईश्वर से संबंधित ‘भगवान और भक्त’ नाम से कविता का पाठ किया जिससे सभी बड़े प्रभावित हुए | जिसमें यह कहा गया कि ‘यदि मैं न होती भावना, तो तू कहाँ भगवान होता’ ऐसा प्रतीत हुआ कि जैसे ईश्वर को चुनौती देते हुए उन्होंने यह कविता लिखी है |
श्री राज माहेश्वरी जी ने अपनी कविता में ईमेल के नए युग के आगमन की घोषणा की| श्रीमती रेणुका शर्मा जी ने होली के अवसर पर हजारों रंगों की बात की | आशा मिश्रा जी ने टोरंटो के कवि समाज में दूसरी बार अपनी कविता पढ़ी, जिसकी भूरी भूरी प्रशंसा की गई | कविता का शीर्षक था, ‘ग्रेट कंजकंशन के समय|’
श्री सुमन घई जी ने अपनी कविता 'काश मिले तुम भी' प्रस्तुत की जो श्रृंगार रस के रंग से पूर्ण थी | श्री नरेंद्र ग्रोवर जी की कविता 'होली आई है मैं गुलाल बेचता हूँ' यह कविता पढ़ी | यह व्यंग्यात्मक रचना भारतीय राजनीति से संबंधित थी जिसे बहुत खूब वाहवाही मिली |
श्रीमती आशा बर्मन ने एक होली गीत प्रस्तुत किया 'सैया कैसे करी कविताई’, जो कनाडा के बर्फीले ठंडे मौसम में होली मनाने से संबंधित थी| इस कविता ने लोगों को होली के रंगों से पूर्ण रूप से भिगो दिया | इसके उपरांत श्रीमती प्रमिला भार्गव ने ‘देखो होली आई रे’ शीर्षक की कविता पढ़ी और उसमें होली का संदेश दिया | श्रीमती ज्योत्सना अग्रवाल ने ‘आ गए तुम’ कविता पढ़ी |
इसके पश्चात् श्रीमती शैलजा सक्सेना ने एक बहुत अत्यंत भावपूर्ण कविता पढ़ी | अभी पिछले माह ही शैलजा जी की माताश्री का स्वर्गवास हुआ है | अतः माँ से संबंधित 'तुम सी ना हो पाई' उनकी भाव भरी कविता को सुनकर सभी का मन भर आया | गिल्ड के सभी उपस्थित सदस्यों ने उनकी माँ के साथ बिताए गए पलों की स्मृतियों को सभी के साथ साँझा किया| अब सभा का वातावरण कुछ गंभीर हो चला था|
अगली कवयित्री थीं श्रीमती पूनम चंद्रा ‘मनु’ जी जिन्होंने अत्यंत सुंदर भक्ति भाव से भरी कविता पढ़ी 'कृष्ण मुझ संग होली खेलोगे' कविता के माध्यम से बड़े अपनेपन से ‘मनु’ ने कान्हा से साथ होली का पर्व मनाया| इसके पश्चात् श्रीमती प्रीति अग्रवाल ने ‘कहो ना’ नामक कविता में मिलन की मधुर बेला का वर्णन किया|
अंत में श्री सतीश सेठी जी ने अपनी माता की स्मृति में ‘तपिश’ नमक कविता पढ़ी|
यह उल्लेखनीय है कि श्रीमती प्रीति अग्रवाल ने इस कार्यक्रम का संचालन अत्यंत कुशलता पूर्वक किया| इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए पूनम चंद्रा ‘मनु’ जी ने सुंदर फ्लायर बनाकर सबको भेजा| इस प्रकार होली के अवसर पर हिन्दी राइटर्स गिल्ड के सभी सदस्यों के सहयोग से एक सुंदर कार्यक्रम का आयोजन हुआ जो टोरंटो के अनेक हिन्दी प्रेमियों को एक आनंदमय संध्या का उपहार दे गया | इस प्रकार आभासी मंच (ज़ूम ) से हिन्दी राइटर्स गिल्ड की एक और सफल मासिक गोष्ठी का समापन हुआ |
प्रस्तुति -आशा बर्मन

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