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सुबह का सूरज अब मेरा नहीं है

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"ग्लिंपसिज़ ऑफ द सेटिंग सन" चित्रकला पर्दशनी और पुस्तक ‘सुबह का सूरज अब मेरा नहीं है’ का लोकार्पण

‘ग्लिंपसिज़ ऑफ द सेटिंग सन’ चित्रकला प्रदर्शनी और पुस्तक ‘सुबह का सूरज अब मेरा नहीं है’ का लोकार्पण फरवरी 26, 2010 – मिसिसागा सेंट्रल लाइब्रेरी के सभागार में किया गया| उस दिन मिसिसागा की चित्रकार और कवयित्री मीना चोपड़ा की चार पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। काव्य संकलन ‘सुबह का सूरज अब मेरा नहीं है’ का हिन्दी, रोमन हिंदी, उर्दू संस्करणों का और उनकी अंग्रेज़ी कविताओं के संकलन ‘इग्नाईटिड लाईन्ज़’ का लोकार्पण हुआ। इग्नाईटिड लाईन्ज़ का यह दूसरा संस्करण था। मीना चोपड़ा विश्‍व विख्यात चित्रकार भी हैं। इस अवसर पर उनकी कला की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई थी। यह प्रदर्शनी ५ मार्च के बाद मेडोवेल लाईब्रेरी में देखी जा सकती है।
कार्यक्रम का आरम्भ मिसिसागा सेंट्रल लाइब्रेरी की कला और इतिहास विभाग की प्रबंधक सुश्री मैरियन कुटरना ने स्वागत वाक्य से किया। यह कार्यक्रम लाइब्रेरी के तत्वावधान में हिन्दी राइटर्स गिल्ड के सहयोग से किया जा रहा था। मुख्य भूमिका मिसिसागा लाइब्रेरी की ही थी। कार्यक्रम के संचालन का भार बिनॉय टॉमस (संपादक – वॉयस समाचार पत्र) ने संभाला। इस अवसर पर उपस्थित सांसद नवदीप सिंह बैंस ने मीना चोपड़ा की द्विभाषीय पुस्तक का विमोचन किया, हिन्दी की पुस्तक का लोकार्पण भारतीय काउंसलावास के एम.पी. सिंह के करकमलों से, उर्दू की पुस्तक को लोकार्पित डॉ. सलदानाह और ‘इग्नाइटिड लाइन्ज़’ को मैरियम कुटरना ने लोकार्पित किया। अगले चरण में मीना चोपड़ा ने कुछ अंग्रेज़ी और हिन्दी की कविताएँ सुनाईं।
नवदीप सिंह बैंस ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि वह इस अवसर पर एक सांसद के रूप में नहीं बल्कि एक पारिवारिक मित्र की तरह उपस्थित हुए हैं। उन्होंने मिसिसागा लाइब्रेरी को इस कार्यक्रम के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि कैनेडा के बहुसांस्कृतिक समाज का यह उत्सव है। उन्होंने यह भी कहा कि शायद ही पहले कभी हुआ होगा कि एक ही पुस्तक का अनेक भाषाओं में एक ही दिन लोकार्पण हुआ हो। काउंसुलेट श्री एम.सी. सिंह ने इसे कैनेडा की बहुसांस्कृतिक नीति की सफलता कहते हुए बधाई दी। उन्होंने भारत और कैनेडा की तुलना करते हुए कहा कि दोनों देशों यही समानता है कि हम लोग अपनी अनेकता का उत्सव मनाते हैं और यही हमारे समाज की शक्ति है। डॉ. सलदानाह ने अपने संबोधन में मीना जी को बधाई दी और लाइब्रेरी सिस्टम को इस कार्यक्रम के लिए साधुवाद दिया।
कार्यक्रम के अगले चरण में मीना जी हिन्दी की पुस्तक ‘सुबह का सूरज अब मेरा नहीं है’ की समीक्षा सुमन कुमार घई ने करते हुए कहा कि मीना की कविताएँ आंतरिक हैं। मीना एक चित्रकार है और अपने आसपास के बिखरे रंगों और प्राकृतिक सुंदरता को आत्मसात कर लेती हैं और वह प्रकृति उनके अंदर जीवित रहते हुए उनकी कविताओं में उतरती है। वे एक अंग्रेज़ी की भी कवयित्री हैं इसलिए हिन्दी कविता में अंग्रेज़ी से आयतित प्रतीकों से कविता में और निखार आ गया है।
नसीम सैय्यद ने उर्दू की पुस्तक की समीक्षा करते हुए, मीना की कविताओं के उर्दू रूपांतर को सुनाया। उनका संबोधन भावपूर्ण और कवितामय था। उन्होंने भी कहा कि मीना की कैनवास के रंग मीना की कविता पर बिखर गए हैं।
अंग्रेज़ी की पुस्तक पर शेरल ज़ैवियर बोलीं। वे कैनेडियन फेडरेशन ऑफ पोएट्स की संस्थापिका हैं।
कार्यक्रम के अंत में मीना चोपड़ा ने हिन्दी और उनके अंग्रेज़ी रूपांतर सुनाए। इस अवसर पर सौ के लगभग लोग उपस्थित थे। मिसीसागा के विभिन्‍न मीडिया ने भी इस कार्यक्रम को कवरेज़ दी। इसी श्रृंखला में १० अप्रैल को मेडोवेल लाईब्रेरी में मीना की कविताओं पर खुली चर्चा होगी। समय दोपहर के दो से चार बजे तक का है।

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