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लेख कैसे लिखें

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लेख कैसे लिखें: एक सार्थक चर्चा

10 अगस्त, 2019 को हिंदी राइटर्स गिल्ड ने वैचारिक संगोष्ठी आयोजित की, विचार का विषय था: अच्छा लेख कैसे लिखा जाए!
कार्यक्रम का प्रारंभ डॉक्टर नरेन्द्र ग्रोवर द्वारा आयोजित जलपान से हुआ। अतिथियों का स्वागत करते हुए डॉ. शैलजा सक्सेना ने संचालन का कार्यभार सँभाला। उन्होंने आज की गोष्ठी की रूपरेखा बताते हुए कहा कि यह गोष्ठी दो सत्रों में विभाजित है, पहले सत्र में लेख पर बातचीत होगी और दूसरे सत्र में कविता पाठ होगा। विषय की भूमिका स्थापित करते हुए उन्होंने कहा कि जो बात कविता और कहानी से इतर लेखक सीधे-सीधे पाठकों तक पहुंचाना चाहता है, उसके लिए वह प्राय: लेख या निबंध विधा का उपयोग करता है। विषय के आधार पर लेखों का वर्गीकरण किया जा सकता है, जैसे वैचारिक लेख, संस्मरणात्मक लेख, व्यंग्य लेख, विश्लेषणात्मक लेख आदि। उन्होंने प्रसिद्ध लेखक श्री निर्मल वर्मा द्वारा लिखित लेखों की विशेषता की चर्चा करते हुए उदाहरण स्वरूप उनके लेख ’मेरे लिए भारतीय होने का अर्थ’ से कुछ अंश भी पढ़ा।
इसके पश्चात् उन्होंने श्री सुमन कुमार घई को लेख पर चर्चा के लिए सादर आमंत्रित किया। सुमन जी ने लेख के विषय में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि लेख की विधा बहुत विस्तृत है, कई शैलियाँ हैं इसलिए उसे एक ही परिभाषा में नहीं बाँधा जा सकता। उन्होंने कहा कि आवश्यक है कि जो भी लेख लिखा जाए वह तथ्यपरक हो, उसका विषय रुचिकर हो, लेखक को विषय की पूर्णरूप से जानकारी हो। लेखक को इस विषय पर लिखे हुए पहले के लेख भी पढ़ने चाहिए और यदि उस में से वह कोई भी तथ्य अपने लेख में उद्धृत करता है तो उस लेख का संदर्भ अवश्य देना चाहिए। लेख की भाषा भी विषय के अनुसार होना आवश्यक है। साथ ही उन्होंने इस बात पर ध्यान दिलाया कि लेख या अन्य लेखन तभी सार्थक होता है जब उसका प्रकाशन स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में हो। लेख पर बातचीत के दौरान ही उन्होंने श्रोताओं के प्रश्नों का भी बड़ी कुशलता से समाधान किया। ललित निबन्धों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने अपनी वेब पत्रिका ’साहित्य कुंज’ में प्रकाशित श्री सुरेन्द्रनाथ तिवारी और श्री जय प्रकाश मानस रथ के ललित निबन्धों से कुछ पंक्तियाँ पढ़ीं।
तदोपरांत श्री अजय गुप्ता जी ने सुमन कुमार घई एवं कृष्णा वर्मा को जन्मदिन की बधाई देते हुए पुष्पगुच्छ प्रदान किए। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए श्रीमती मानोशी चटर्जी ने अपना लेख पढ़ा। उनका लेख कोलकाता के चंदन नगर में दुर्गा पूजा के बाद आयोजित चंदन नगर की विशेष पूजा के विषय में था। चंदन नगर के इतिहास और भौगोलिक स्थिति को बताते हुए उन्होंने इस पूजा के धार्मिक और सामाजिक संदर्भों का बहुत सुंदर चित्र प्रस्तुत किया । इस लेख के माध्यम से श्रोताओं को एक नए स्थान और पूजा की विस्तृत जानकारी रोचक रुप से मिल सकी। लेख की इस विचार गोष्ठी में यह लेख एक बहुत अच्छा उदाहरण रहा।
इसके साथ ही पहला सत्र समाप्त हुआ और सभी ने पुन: तरोताज़ा होने के लिए चाय-नाश्ते का आनन्द लिया।
डॉ. शैलजा ने रचनात्मक प्रस्तुतियों के दूसरे सत्र में सबसे पहले अखिल भंडारी जी को आमंत्रित किया। उन्होंने अपनी दो ख़ूबसूरत ग़ज़लें पेश की ‘अगर उनके इशारे इस क़दर मुबहम नहीं होंगे / हमारी गुफ़्तगु में भी ये पेचोख़म नहीं होंगे’ इसके बाद श्रीमती मानोशी चटर्जी ने अपनी दो ग़ज़लों से श्रोताओं का मन मोह लिया। उनकी ग़ज़ल की पंक्तियाँ थीं: ‘यह जहाँ मेरा नहीं है/ या कोई मुझ सा नहीं है।‘ इसके बाद श्री निर्मल सिद्धू ने अपनी दो ग़ज़लें प्रस्तुत कीं, उनकी कुछ पंक्तियाँ हैं “मैं तो एक दीवाना हूँ/अलबेला मस्ताना हूँ/यह सिक्का अब भी चलता है/चाहे दौर पुराना हूँ" और दूसरी ग़ज़ल ‘वो जो एक दीवाना है/दुनिया से बेगाना है/निर्मल के वो संग रहे/बरसों का याराना है’। श्री संदीप त्यागी की ग़ज़ल थी "वजूद ख़ुद का हक़ीक़त में दिखाना होगा"। डॉक्टर नरेन्द्र ग्रोवर की कविता थी ‘दौड़ का दौर है फ़ुर्सत न ढूँढिए’। श्री बालकृष्ण शर्मा ने ‘या तो मुझे अपने मन में बसा लो तुम’ नामक अपनी कविता का पाठ किया। श्रीमती पूनम चन्द्रा ने अपनी दो सुंदर रचनाएँ साँझी कीं ‘पतझड़ के मौसम में बहारों को सजा रखा है’ तथा ‘वो बिना राह के ही सफ़र में था’। श्रीमती भुवनेश्वरी पांडे जी ने डॉ. जगदीश व्योम जी की पुस्तक से कुछ हाइकु पढ़े। श्रीमती इंदिरा वर्मा ने सुमन घई तथा कृष्णा वर्मा के जन्मदिन पर कुछ सुंदर पंक्तियाँ पढ़ीं। श्री विजय विक्रांत ने अपनी डायरी से "कांस्टेबल की डायरी का पन्ना” पढ़ा। श्रीमती प्रमिला भार्गव की कविता थी ‘चुप कर चुपके से’। श्रीमती सीमा बागला ने अपनी कविता ‘निर्भय श्वास ले रहा आज लाल चौक पे तिरंगा’ का पाठ किया। श्रीमती कृष्णा वर्मा ने श्रोताओं से अपनी रचना ‘समय’ साँझी की। श्री सुमन कुमार घई ने टोरोंटो के प्रतिष्ठित लेखक श्री पाराशर गौड़ की दो कविताओं का पाठ किया जिन्हें किसी कारण से जल्दी जाना पड़ गया था। अंत में डॉ. शैलजा सक्सेना ने कुछ स्वरचित हाइकु पढ़े।
सभी लोग आज के कार्यक्रम की सार्थकता से संतोष और हर्ष अनुभव कर रहे थे।
नोट: हिंदी राइटर्स गिल्ड की मासिक गोष्ठियाँ नि:शुल्क हैं और इसमें सभी साहित्य प्रेमियों का स्वागत है। यह गोष्ठी हर महीने के दूसरे शनिवार को दोपहर 1:30 बजे से 4:30 बजे तक स्प्रिंगडेल ब्रांच लाइब्रेरी, ब्रैम्पटन में होती है।

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