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हिन्दी दिवस
जनवरी 2019

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हिन्दी राइटर्स गिल्ड में साहित्य-पर्व रूप में ’विश्व हिन्दी दिवस’ की धूम

हिन्दी राइटर्स गिल्ड ने १२ जनवरी २०१९ को ब्रैमप्टन की स्प्रिंगडेल शाखा लाइब्रेरी में दोपहर १.३० से ४.३० बजे तक ‘विश्व हिन्दी दिवस’ का एक विशेष आयोजन किया। इस विशेष कार्यक्रम में कविता के साथ-साथ साहित्य की अन्य सभी विधाओं जैसे हाइकु, लघुकथा, संस्मरण आदि को भी उत्साहपूर्वक सुना गया।
कार्यक्रम का आरम्भ डॉ. शैलजा सक्सेना ने सबके स्वागत और बधाइयों से किया। नव वर्ष की इस पहली गोष्ठी में सभी के मन में ’विश्व हिंदी दिवस’, ’लोहडी’ तथा ’मकर संक्रांति’ का उल्लास था। शैलजा जी ने बताया कि हि.रा.गि. ने बहुत उत्साह से ऑटवा (जनवरी 5) तथा टोरोंटो (जनवरी 10) के काउंसलावास में आयोजित ’विश्व हिन्दी दिवस’ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में भाग लिया। जनवरी ५ को हिन्दी राइटर्स गिल्ड के पाँच कवि-कवयित्रियाँ लगभग पाँच घंटे की यात्रा करके ऑटवा गए और ’हिन्दी मंच’ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया, जिसमें मुख्य अतिथि महामहिम हाई कमिश्नर श्री विकास स्वरूप जी ने विदेश में हो रहे हिन्दी के प्रचार-प्रसार के कार्यों की चर्चा और सराहना की। टोरोंटो में काउंसलाधीश श्री दिनेश भाटिया जी ने भी कार्यक्रम में आये लेखकों का स्वागत करते हुए भारत सरकार की योजनाओं की चर्चा की और भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा भेजे ’प्रवासी दिवस’ के निमंत्रण पत्र को पढ़ कर सुनाया।
जनवरी १२ को आयोजित हिन्दी राइटर्स गिल्ड के इस विशेष कार्यक्रम में शैलजा जी हिन्दी के दिये को निरंतर जलाए रखने और उसके प्रकाश से सहृदयों में रस-संचार की कामना करते हुए उपस्थित वरिष्ठ अतिथियों और रचनाकारों को दीप-प्रज्जवलन के लिए आमंत्रित किया।में श्री भगवतशरण श्रीवास्तव, श्री राज महेश्वरी, डॉ.इन्दु रायज़ादा, श्री बाल कृष्ण शर्मा, श्रीमती आशा बर्मन, श्रीमती लता पांडे तथा श्रीमती भुवनेश्वरी पांडे थे। कार्यक्रम श्रीमती भुवनेश्वरी पांडे द्वारा गाई, निराला जी की सरस्वती वन्दना ‘वर दे वीणावादिनि वर दे’ की मधुर रचनात्मक ऊर्जा से प्रारंभ हुआ।
कार्यक्रम के लिए मंच संचालन का कार्य सँभाला टोरोंटो की प्रतिष्ठित कवयित्री लता पाण्डेय ने। उन्होंने श्री भारतेंदु हरिश्चंद्र की उक्ति,'निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल' की उक्ति कहते हुए हिन्दी भाषा के प्रति प्रवासी भारतीयों के प्रेम की चर्चा की। उन्होंने हिन्दी साहित्य के इतिहास की चर्चा करते हुए लेखकों को आमंत्रित करना प्रारंभ किया।
सर्वप्रथम डॉ. इन्दु रायज़ादा ने अपनी दीर्घ भारत यात्रा से सम्बंधित एक भावपूर्ण लेख पढ़ा, जिसमें मातृभूमि भारत और कैनेडा में रहने की भावनात्मक तुलना करते हुए प्रवासी जीवन का मूल प्रश्न उठाया कि हम स्वदेश त्यागकर विदेश में क्यों रहते हैं? क्या यह मृगमरीचिका नहीं है, क्या यह भटकन नहीं है?
इसके बाद श्री भगवत शरण श्रीवास्तव ने ’हर्ष हो, उत्कर्ष हो, सबको शुभ नववर्ष हो’ की शुभकामनाओं के साथ दो सुन्दर कविताएँ सुनाईं, पहली थी ’भावनाओं को हृदय में वास का आभास दे दो’ और दूसरी थी आशा से ओत-प्रोत कविता ’आओ मिलें उस तट पर’!
श्रीमती आशा बर्मन ने श्री सोम ठाकुर द्वारा रचित प्रसिद्ध ‘भाषा वंदना’ गायी तथा स्वरचित कविता ‘यह जीवन है क्षणभंगुर’ (हास्य कविता) पढ़ी, जिसमें हर समय परेशान रहने वाले लोगों की गंभीर और निराशावादी प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया गया था। श्री राज महेश्वरी ने श्री अटलबिहारी वाजपेयी जी की कविता ’मेरा परिचय’ प्रस्तुत की, जिसमें हमारी संस्कृति और संस्कारों की झलक थी। नरेन्द्र ग्रोवर जी ने स्वामी विवेकानन्द के जन्मदिवस पर उन्हें नमन करते हुए जीवन-दर्शन की पृष्ठभूमि पर लिखी कविता पढ़ी:
“निपट सन्नाटा जहाँ था उन रास्तों पर चला हूँ,
बहुत उलझा हुआ था, अभी ख़ुद से मिला हूँ।”
श्रीमती भुवनेश्वरी पांडे ने ‘आध्यात्मिक पाणि ग्रहण’ नामक कविता पढ़ी जिसमें लेखिका और जीवन का पाणिग्रहण होने का दृश्य प्रस्तुत किया गया है। श्री बाल शर्मा जी ने साहस, धैर्य और परिश्रम के महत्त्व को रेखांकित करती हुई कविता ’पथिक, भँवरा और गुलाब’ पढ़ी। श्री योगेश ममगईं ने वृक्ष को महान व्यक्तियों का प्रतीक मानकर एक अत्यंत सुन्दर एवं प्रेरणात्मक कविता सुनाई। श्री विजय विक्रान्त जी की ’डायरी के पन्ने’ से डायरी शैली में वनस्पति घी में मिलावट करने वाले किरानी की रोचक कथा प्रस्तुत कर श्रोताओं को मुग्ध किया। श्रीमती सविता अग्रवाल ने एक मार्मिक लघु कथा ‘बबलू की बन्दूक’ तथा कविता, ‘हिन्दी से मेरी बात’ सुनाई तथा श्रीमती स्नेह सिंघवी ने ‘तुम और मैं’ और ‘अश्रु’ नामक कविता सुनाई, जिन्हें सभी ने बहुत सराहा गया। पूनम चन्द्रा “मनु” ने “कैकेयी तुम कुमाता नहीं हो” शीर्षक से कैकेयी के मातृत्व को एक नए दृष्टिकोण से अभिव्यक्त कर श्रोताओं को प्रभावित किया। श्री सतीश सेठी ने “कभी कभी दिल पे लगी” कविता सुनाई तथा श्री निर्मल सिद्धू जी ने हिन्दी के विषय तीन हाइकु और एक लघुकथा ‘दुआ या कुछ और’ सुनाई। श्री नरेन्द्र वशिष्ठ ने स्वरचित माँ के प्रति श्रद्धा गीत अपने सुमधुर कंठ में सुनाकर सबको भावविभोर कर दिया। इसके बाद श्री अनिल कुन्द्रा ने ‘चित्रलेखा’ फ़िल्म का साहिर का गाना “मन रे तू काहे न धीर धरे” सुनाया। आचार्य संदीप त्यागी ने ‘बंद करो कविता-वविता सब जुमले वुमले लिखा करो’ नामक एक व्यंग्य कविता सुनाई। श्री सुमन कुमार घई ने ‘सर्दी की सुबह’ कविता सुनाई, जिसमें एक प्रवासी मन का मार्मिक चित्रण है जो अनेक वर्ष विदेश में रहकर भी फरवरी में बसंत की प्रतीक्षा करता है। डॉ. शैलजा सक्सेना ने विश्व की विभिन्न भाषाभाषियों की तुलना आकाश में अपने अपने कोनों से अपने अपने रंग की पतंगे उड़ाते हुए लोगों से करते हुए कविता प्रस्तुत की। श्री अजय गुप्ता ने ‘ननद भाभी के संवाद’ रूप में साड़ी में लिपटी भारतीय संस्कृति की परिभाषा कविता में की, जो लोगों ने बहुत सराही।
इस कवि सम्मलेन का सफलतापूर्वक संचालन श्रीमती लता पांडे ने किया। अंत में उन्हींने अपनी एक कविता सुनाई जिसमें कुम्हार के चक्र से सम्बंधित दार्शनिक भाव थे। पूनम चन्द्र ‘मनु’ जी ने छायाचित्र का कार्य सम्हाला। कार्यक्रम के साथ–साथ श्रोतागण स्वादिष्ट जलपान का आनंद भी ले रहे थे, जिसका आयोजन श्री विजय विक्रांत तथा श्रीमती कांता विक्रांत जी ने किया था।
अंत में हिन्दी राइटर्स गिल्ड की ओर से सभी अतिथियों को धन्यवाद दिया गया।
-आशा बर्मन

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