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15 अगस्त कवि-गोष्ठी
2023

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भारत हैं हम” हिन्दी राइटर्स गिल्ड कैनेडा का भव्य कार्यक्रम- अगस्त १९, २०२३

19 अगस्त, 2023 को हिंदी राइटर्स गिल्ड कैनेडा ने भारत के 77वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में 'भारत हैं हम' कार्यक्रम का आयोजन किया। भारतवर्ष के अमृत महोत्सव की समाप्ति के अंतर्गत यह अनोखा कार्यक्रम था जिसमें हिन्दी के अतिरिक्त भारत की विभिन्न भाषाओं में कवियों ने भारत की आधुनिक उपलब्धियों और ऐतिहासिक गौरव के चित्र अपनी कविताओं में प्रस्तुत किये।
सर्वप्रथम संस्था की सह- संस्थापिका, निदेशिका डॉ. शैलजा सक्सेना ने सभा का और टोरंटो में भारत के कोंसलाधीश तथा मुख्य अतिथि श्री सिद्धार्थ नाथ जी का अभिनन्दन किया।
कार्यक्रम का प्रारंभ उमंग सक्सेना के ’वंदे मातरम’ के मधुर बाँसुरी वादन से हुआ जिसने सभी को आनंदमग्न कर दिया। इसके बाद डॉ. शैलजा ने आदरणीय सिद्धार्थ नाथ जी का परिचय देते हुए उन्हें मंच पर फ़ूलों और छोटे पौधों का गमला, कैनेडा के लगभग ५० लेखकों के गद्य संकलन 'संभावनाओं की धरती' और पद्य संकलन 'सपनों का आकाश” भेंट में दिये, इस यादगार पल में पूरा निदेशक मंडल और प्रबंधन समिति भी मंच पर उपस्थित थे। तत्पश्चात एक सुंदर वीडियो द्वारा हिंदी राइटर्स गिल्ड कैनेडा की गतिविधियों और उपलब्धियों से सब को विशेषतः सिद्धार्थ नाथ जी को अवगत कराया गया। सभा को संबोधित करते हुए सिद्धार्थनाथ जी ने संस्था के कार्यक्रमों की उदार शब्दों में प्रशंसा की और हर प्रकार से सहयोग करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि विश्व भर के लोगों की दृष्टि इस समय भारत पर जमी हुई है और वो दिन अब दूर नहीं जब भारत की ऊर्जा और प्रगति दर आर्थिक रूप से सशक्त महादेशों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा पायेगी।
उसके बाद संचालन की बागडोर संस्था के निदेशक डॉ. नरेन्द्र ग्रोवर के निपुण हाथों में सौंपी गई।। इस कार्यक्रम के बच्चों ने भी भाग लिया था। ’तरुण मंच के स्वर’ में पाँच बच्चों ने अपनी प्रस्तुतियाँ दीं। जिससमें सबसे पहले छह वर्षीय ईशान ठाकुर ने देशभक्ति की सुंदर कविता सुनाई। अविका सिंह ने तितली पर बहुत प्यारी कविता सुनाई। तेरह वर्ष के श्रेयस ठाकुर ने देश की उपलब्धियाँ गिनवाते हुए एक सुन्दर गीत गाया। नौ वर्ष की आयरा श्रीवास्तव ने 'जय हो' की धुन पर सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया। ओकैड यूनिवर्सिटी की चौथे वर्ष की छात्रा और ओकैड हिन्दु स्टूडेन्ट्स काउंसिल की प्रेज़िडेंट खुशी जेटली ने भारतीय संस्कृति और उसके सनातन मूल्यों की गहराई बताते हुए अपने जीवन में उन्हें अपनाने पर अपना वक्तव्य दिया। उनके शुद्ध उच्चारण में सनातन मूल्यों की सशक्त अभिव्यक्ति ने सबको प्रभावित किया ।
इसके उपरान्त ’प्रतिष्ठित कवियों के स्वर’ कार्यक्रम का प्रारंभ केसर की भूमि कश्मीर से हुआ, विद्या भूषण जी ने काश्मीरी भाषा में निष्कासित होने की पीड़ा पर एक मार्मिक गीत सुनाकर सब को भावविभोर कर दिया। प्रबंधन समिति के सदस्य पीयूष श्रीवास्तव जी ने एक अन्य कवि की कविता, 'मैं केंद्र बिंदु हूँ, मैं हिन्दू हूँ' का सुंदर वाचन किया। तकनीकी निदेशक पूनम चन्द्रा 'मनु' जी ने अपनी कविता द्वारा योद्धाओं की आहुतियों का बहुत मार्मिक चित्रण किया और 'जय हिन्द' के नारों से पूरी सभा गूँज उठी। उर्दू के विख्यात कवि और टैग टीवी के प्रबंधक ताहिर गोरा जी ने अपने हिन्दू होने पर गर्व व्यक्त किया तथा दो मार्मिक कवितायें सुनाई जिसमें सरहद पर रहने वाले आम आदमी के अमन ओ चैन की अभिलाषा के सुंदर भाव थे। गढ़वाल का प्रतिनिधित्व पराशर गौड़ जी ने किया और कलम की ताकत पर एक सुंदर गढ़वाली कविता सुनाई। गिल्ड की परिचालन निदेशिका कृष्णा वर्मा जी ने व्यक्ति को समय और देश में छुपे हुए शत्रुओं के प्रति सचेत किया। संस्था के सह-संस्थापक निदेशक विजय विक्रांत जी ने व्यस्त जीवन से थोड़ा समय निकाल कर अपने बचपन में लौटने और प्रकृति को निहारने का सन्देश दिया। पंजाबी में पाठ किया पंकज शर्मा ने और मनुष्य के ’मिट्टी से पैदा होकर मिट्टी हो जाने’ तक की गहरे दार्शनिक भाव-यात्रा को बहुत ही सरल शब्दों में प्रस्तुत किया। नाटकों में निर्देशन और अभिनय से प्रसिद्धि प्राप्त रमा जोशी जी ने बड़े ही सरस ढंग से मराठी में एक मनोरंजक बाल कविता सुनाई।
मध्यांतर में सब ने जलपान का आनन्द उठाया।
कार्यक्रम पुन: प्रारंभ हुआ, ढिशुम रेडियो के उद्घोषक दीप शुक्ल से, जिन्होंने युगों-युगों से चली आ रही कविता की शक्ति को बताया। प्रबंधन समिति की सदस्या डॉ.बंदिता सिन्हा ने नन्ही अविका सिंह के साथ अपने देश के तिरंगे की आन, बान और शान बनाए रखने का सन्देश दिया और अपने बनाए तिरंगों का वितरण भी किया। आयुषी पुरोहित ने राजस्थानी भाषा में देश की वीर स्त्रियों जैसे हाडा बाई, पन्ना धाय आदि के जन्मभूमि के प्रति समर्पण पर ओजपूर्ण कविता प्रस्तुत की और फिर जय हिन्द के स्वर से कमरा गूँज गया। मलयालम भाषा के प्रसिद्ध कवि के. एन. नाम्बियार ने अपनी भाषा में प्रकृति को माँ मानते हुए उसके सौंदर्य और उसकी गोद में अपने होने का भाव व्यक्त किया। रामा भट्ट जी ने कन्नड भाषा में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की महत्ता और योगदान का जयकार किया। गुजराती में कवि प्रभुलाल ताँतरिया जी ने स्त्री जीवन के अनेक कामों की व्याख्या करती अपनी मार्मिक रचना साझा की। इसके बाद गिल्ड की निदेशिका आशा बर्मन जी ने डी.एल. रॉय जी की कविता “धन्य-धन्य पुष्प भरा” बंगला गीत का भावपूर्ण गायन किया। उनके मधुर स्वर और भाव से सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये।
इसके बाद संचालन का कार्य आशा बर्मन जी ने सँभाला और सबसे पहले संस्कृत भाषा में निष्णात और योगाचार्य, लेखक आचार्य संदीप त्यागी को आमंत्रित किया जिन्होंने संस्कृत भाषा में भारतभूमि को प्रणाम करने के बाद ’ओम’ शब्द के सबसे छोटे और सबसे व्यापक शब्द होने पर बहुत सुन्दर कविता पढ़ी। सविता अग्रवाल जी की दो देशभक्ति की कविताओं में से एक, “हम लहरों के प्रहरी हैं” नौसेना की वीरता पर आधारित थी जो नौसेना में कार्यरत रह चुके उनके पति कमांडर संजीव अग्रवाल जी के जीवन से प्रेरित थी। उन्होंने तीन बार वंदेमातरम और जयहिंद का घोष कर पुन: सभा में जोश भर दिया। प्रसिद्ध व्यंग्यकार समीर लाल 'समीर' ने बड़ी सरलता से गहन बात कहते हुए पढ़ा कि, ' मैं कविता नहीं कहता, कविता मुझे कह जाती है।' प्रबंधन समिति के सदस्य योगेश ममगाईं ने 'सुगन्ध मेरी माटी की' कविता में भारत से बाहर आने पर देश की मिट्टी, खुश्बू साथ लाने और माँ के हाथ की रोटी और घर पीछे छोड़ आने की बात की लेकिन वहीं इन्हीं का आनंद लेने के लिए लौट कर जाने की सकारात्मक बात भी कही। गिल्ड की निदेशिका लता पाण्डे ने भोजपुरी भाषा में कविता “बुढ़ातनी’ में बुढ़ापे आने के लक्षणों पर एक हास्य कविता से सब का मन जीत लिया। निर्मल जसवाल राणा ने पंजाबी भाषा में नारी के प्रति पारंपरिक सोच को तोड़ती हुई व्यंग्य कविता “डे आउट’ पढ़ी कि लोग सोचते हैं स्त्री को लेनिन, स्तालिन, मार्क्स से क्या लेना-देना पर आज उस सोच से मेरा डे आउट है।
प्रबंधक समिति की सदस्या और चित्रकार प्रीति अग्रवाल जी ने ’प्रवासी मन’ कविता का पाठ किया। अपने द्वारा बनाये चित्रों की प्रदर्शनी के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे प्राप्त धन को “सिक किड्स” अस्पताल में दिया जायेगा और सहयोग के लिए सभी का धन्यवाद किया। इसके बाद गिल्ड के निदेशक संदीप कुमार जी ने देशभक्ति की ओजपूर्ण कविता का पाठ किया। डॉ. नरेन्द्र ग्रोवर ने जीवन और समाज विषय पर लिखी रचना सुनाई। कार्यक्रम के अंत में सह-संस्थापक निदेशिका डॉ. शैलजा सक्सेना ने “मेरे सारे शब्द उधारी के हैं” शीर्षक में भाव, शब्द, विचार और हर भारतीय के भीतर शाश्वत भारतपन के लिए अपने पूर्वजों और देश के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।
अंत में निदेशक संदीप कुमार ने उपस्थित सभी साहित्य और देश प्रेमियों का हार्दिक धन्यवाद दिया। अपने बैनर लगाने के लिए सहयोगी संस्थाओं, भविष्य में सहयोग देने का वचन देने वाले उद्यमियों, पुस्तक प्रदर्शनी में सहयोग देने वाले लेखकों, चित्रकला प्रदर्शनी के लिए प्रीति जी को उन्होंने धन्यवाद दिया। जलपान का आयोजन करने वाले डॉ. नरेन्द्र ग्रोवर, लता पांडे और सुरेश पांडे जी को धन्यवाद देने के साथ यह कार्यक्रम बहुत ही आत्मीय, देशभक्ति के प्रेम में डूबी कविताओं की मधुर लहरों और जयहिन्द के ओजपूर्ण वातावरण में समाप्त हुआ।
संस्था के मासिक कार्यक्रम हर तीसरे शनिवार स्प्रिंगडेल ब्रांच लायब्रेरी, ब्रैम्पटन में दोपहर १:३० से ४:३० बजे तक नि:शुल्क होते हैं। पूर्व गतिविधियों को www.hindiwritersguild.com पर देखा जा सकता है।
रिपोर्ट लेखन: आशा बर्मन, प्रीति अग्रवाल, डॉ. बंदिता सिन्हा, डॉ. शैलजा सक्सेना

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