डॉ शैलजा जी का सम्मान
हिन्दी राइटर्स गिल्ड कैनेडा द्वारा डा. शैलजा सक्सेना “हिन्दी गौरव सम्मान-२०२३” से सम्मानित हिंदी राइटर्स गिल्ड कैनेडा की सह संस्थापिका डॉक्टर शैलजा सक्सेना को फरवरी, २०२३में फिजी में आयोजित १२वें विश्व हिंदी सम्मेलन में “विश्व हिंदी सम्मान” मिला। उनको इस सम्मान के मिलने की घोषणा के साथ ही इस संस्था के सभी सदस्यों में प्रसन्नता की लहर छा गई | २५ मार्च, २०२३ को हिंदी राइटर्स गिल्ड कैनेडा के निदेशक मंडल ने सभी सदस्यों के साथ मिलकर शैलजा सक्सेना को बधाई देने और संस्था की ओर से भी सम्मानित करने के लिए आयोजन किया। आर्य समाज मिसिसॉगा के प्रांगण में आयोजित इस कार्यक्रम में संस्था के सभी सदस्यों के साथ-साथ अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे, ये संस्थाएँ हैं- एकल फ़ाउंडेशन, अंतर्मन, हिंदी टाइम्स मीडिया, ज़ी टी वी तथा प्रोविंशियल पार्लियमेंट के कुछ सदस्य आदि । अतिथियों के स्वागत के लिए चाय-नाश्ते का प्रबंध था जिसे सब ने आनंद पूर्वक ग्रहण किया। यह कार्यक्रम शैलजा जी की जानकारी में नहीं था अत: उन्हें आश्चर्य में डालते हुए, सबने उनके आने पर ताली बजा कर स्वागत किया। नि:संदेह इस स्वागत और अनेक दूर-पास से आए हिन्दी प्रेमियों को देख कर वे हैरान हुईं। कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉक्टर नरेंद्र ग्रोवर ने बहुत ही आदरपूर्वक सबका स्वागत किया। उन्होंने कहा कि शैलजा जी हमारी संस्था की आन, बान और शान हैं। इसके बाद टोरंटो की प्रतिष्ठित गायिका और लेखिका श्रीमती मानोशी चैटर्जी ने माँ सरस्वती की भावपूर्ण वंदना से कार्यक्रम का प्रारंभ किया। इसके उपरांत श्री संदीप कुमार सिंह जी को संचालन हेतु निमंत्रित किया गया। संदीप जी ने अत्यंत संक्षिप्त रूप से शैलजा जी की साहित्यिक उपलब्धियों की चर्चा की तथा उन्हें हमारी हिंदी राइटर्स गिल्ड की मुखिया बताया । उन्होंने ताल अकादमी से रिया व्यास और प्रिशा पाटील को आमंत्रित किया जिन्होंने एक अत्यंत सुंदर कत्थक नृत्य प्रस्तुत किया, डॉ. शैलजा ने उनकी सराहना करते हुए सर्टिफ़िकेट दिए। यहाँ यह बताना आवश्यक है कि हिन्दी राइटर्स गिल्ड कैनेडा का प्रयास रहता है कि नई पीढ़ी उनके कार्यक्रमों से अधिक से अधिक जुड़े। इस कार्यक्रम में ऑडियो- वीडियो आदि का कार्य भी नवीं कक्षा में पढ़ने वाले आयुष्मान कानूनगो ने सँभाला हुआ था। । इसके पश्चात विद्याभूषण धर जी ने शैलजा जी द्वारा लिखित कविता “ हाँ, मैं स्त्री हूँ” की सराहनीय प्रस्तुति की । कविता में नारी के विविध रूपों द्वारा उसके सामर्थ्य का वर्णन किया गया था। दर्शकों ने कविता की सरल भाषा, भाव और विद्या जी की प्रस्तुति को सराहा। अगली प्रस्तुति में श्रीमती आशा बर्मन ने एक लेख –“आभासी मंच पर डॉक्टर शैलजा सक्सेना की साहित्यिक उपलब्धियाँ” और एक स्वरचित कविता का पाठ किया। लेख में उन्होंने शैलजा जी ने करोना काल में आभासी मंच द्वारा कई सांस्कृतिक व साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ने और अपनी संस्था के फ़ेसबुक कार्यक्रम प्रारंभ करने के बारे में बताया जिससे सारे विश्व ने उनकी प्रतिभा को और कैनेडा के अनेक लेखकों को पहचाना। उन्होंने शैलजा जी के सुंदर व्यवहार तथा सब को साथ ले चलने की प्रवृत्ति की सराहना की । इसके बाद उन्होंने एक कविता का पाठ किया 'हमारी शैलजा’। यह कविता टोरंटो की एक वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती अचला दीप्ति कुमार और आशा बर्मन जी ने २००४ में लिखी थी जब शैलजा के प्रथम काव्य-संग्रह 'क्या तुमको भी ऐसा लगा?' का विमोचन हुआ था। इस कविता ने दर्शकों का बहुत मनोरंजन किया, ‘छपी किताब शैलजा की यह बड़ी शुभ घड़ी आई है’ इन पंक्तियों के साथ आशा जी ने शैलजा जी को बधाई दी। अगली प्रस्तुति में श्रीमती कृष्णा वर्मा ने लघु कथा के स्वरूप का विवरण देते हुए शैलजा जी द्वारा लिखित एक लघु कथा ‘अस्तित्व बोध’ को अत्यंत रोचक ढंग से प्रस्तुत किया तथा इसकी अंतर्वस्तु की विवेचना की। इसके पश्चात हिंदी राइटर्स गिल्ड के सह संस्थापक तथा साहित्य कुंज के संपादक श्री सुमन कुमार घई जी ने “डॉ. शैलजा सक्सेना के साहित्य में नारी” विषय पर एक विवेचनापूर्ण लेख पढ़ा साथ ही शैलजा से अपनी पहली मुलाकात के बारे में बताया जिसमें वे शैलजा जी की कविता के नए स्वर से प्रभावित हुए थे। उन्होंने शैलजा की कविताओं के विस्तृत फ़लक की चर्चा करते हुए “आज की कविता”, “क्या भूली”, “तुम” कविताओं के संदर्भ दिए जहाँ अफ़गानिस्तान से लेकर रसोई तक को विषय बनाया गया था। कुछ कहानियों की चर्चा करते हुए,उनके उद्धरण देते हुए सुमन जी ने कहा कि ’शैलजा के स्त्री पात्र बहुत सजग और विभिन्न देशों की भिन्न परिस्थितियों को समझ कर कार्य करने वाली सशक्त महिलाएँ हैं जो प्रारंभ में भले कमज़ोर दिखती हों पर वे कमज़ोर हैं नहीं”। उन्होंने शैलजा जी के साहित्य पर ’साहित्यकुंज’ में समीक्षा शृंखला शुरू करने की बात कही और दर्शकों को ई-पत्रिका पढ़ने के लिए आमंत्रित किया। अगला वक्तव्य वरिष्ठ सदस्या श्रीमती इंदिरा वर्मा जी का था जिसमें उन्होंने शैलजा से संबंधित अपने संस्मरण सुनाए। इंदिरा जी ने शैलजा और उसके संपूर्ण परिवार को इस सम्मान के लिए बधाई दी और शैलजा के स्वभाव, उनके साहित्य एवं गुणों की प्रशंसा की। उनका वक्तव्य अत्यंत आत्मीयता से भरा था। अगली प्रस्तुति में टोरंटो के प्रतिष्ठित कवि आचार्य संदीप त्यागी जी ने सर्वप्रथम नवरात्रि के दिनों में और श्री गणेश शंकर विद्यार्थी जी की जन्मतिथि के दिन कार्यक्रम होने की बात करते हुए उन्हें प्रणाम किया। इसके पश्चात उन्होंने कुछ दोहे सुना कर, शैलजा जी के संबंध में अपनी संस्कृतनिष्ठ शब्दावली की एक कविता सुनाई। उन्होंने शैलजा की तुलना अपाला, गार्गी तथा विद्योत्तमा से की । इस पर शैलजा जी ने उन्हें प्रणाम करते हुए कहा कि यह कविता उनकी नहीं अपितु संदीप जी की प्रतिभा और काव्यकौशल का साक्षात प्रमाण है। इसके बाद कई विशिष्ट अतिथियों ने शैलजा जी को उनके सम्मान के लिए वीडियो द्वारा और मंच से बधाई दी उनमें प्रमुख नाम हैं: वेदांता सोसायटी के स्वामी कृपामयानंदा जी, डॉक्टर अरुणा अजीतसीरिया,यू.के., फ़िल्म, डॉक्यूमेंट्री निर्माता श्री ललित जोशी,यू.के., ब्रैम्पटन के मेयर श्री पैट्रिक ब्राउन, रूबी सहोटा, योगेश ममगाईं, राकेश तिवारी, निर्मल जायसवाल, बैरिस्टर पंकज शर्मा, एकल कनाडा के नेशनल सेक्रेटरी सुभाष चंद जी तथा अंबिका शर्मा इत्यादि। प्रोविंशियल पार्लियामेंट ऑफ़ ओंटारियो के मेंबर श्री दीपक आनंद जी ने भी एक प्रमाण पत्र दिया। इसके बाद डॉ. शैलजा सक्सेना द्वारा लिखित "चाह" कहानी का नाटकीय वाचन-मानोशी चटर्जी, पूनम जैन कासलीवाल,पीयूष श्रीवास्तव ने प्रस्तुत किया।इसमें पार्श्व ध्वनियों और संगीत संयोजन किया आयुष्मान कानूनगो ने। स्त्री की थकावट और सपनों के बीच से उपजी इस कहानी की यह नाटकीय प्रस्तुति अत्यंत प्रभावशाली रही। हिंदी राइटर्स गिल्ड कैनेडा के सह- संस्थापक श्री विजय विक्रांत जी ने अपने संदेश में 'एक छोटी सी गुड़िया की लंबी कहानी' प्रस्तुत की जिसमें उन्होंने शैलजा के पैदा होने के समय अपने कैनेडा आने की बात कही और फिर भाग्य द्वारा मिला दिये जाने की बात बहुत नाटकीय तरह से रखी। यह कहानी भी अत्यंत रोचक थी। इसके उपरांत संस्था की तकनीकी निदेशिका पूनम चंद्रा ’मनु’ जी ने शैलजा जी के कार्यों पर आधारित प्रभावशाली वृत्तचित्र प्रस्तुत किया। इसके बाद संस्था की ओर से डॉ. शैलजा सक्सेना को “हिन्दी गौरव सम्मान“ प्रदान किया गया जिसमें उन्हें एक ट्रॉफ़ी तथा प्रमाणपत्र दिया गया। इस सम्मान को देने के लिए संस्था के पूरे निदेशिक मंडल के साथ, कार्यक्रम में भाग लेने वाले लोग तथा शैलजा जी के पति- विकास सक्सेना, बेटे- मानस-उमंग, बहू-जॉर्डन और भावी बहू स्नेहल भी मंच पर आमंत्रित किए गए। बहुत ही उत्साह और हर्ष के वातावरण में सभी ने यह सम्मान उन्हें दिया। डॉ. शैलजा सक्सेना ने बहुत सुंदर शब्दों में सबको धन्यवाद करते हुए एक कविता पढ़ी, उन्होंने कहा; “आज के कार्यक्रम से अभिभूत, चकित, प्रभावित और आह्लादित हूँ। सब के प्रेम और मेहनत को प्रणाम करती हूँ।.. अपनों से मुझको मिला, प्रेम, मान, सम्मान पर इतना मिल जाएगा, था कहाँ मुझॆ अनुमान था कहाँ मुझॆ अनुमान कि इतने मित्र मिलेंगे मेरे चलने में गति, आँखों में आकाश भरेंगे।…. धन्यवाद कैसे करूँ, प्रेम भाव अनमोल शब्दों में इनको कभी, कौन सका है तोल। वंदन सबका मौन ही, करती दुई कर जोड़ (प्रभु), प्रेम पगा जीवन चले, सके न कोई तोड़॥“ पूनम चंद्र मनु जी ने शैलजा जी को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह विश्व हिन्दी सम्मान उनका नहीं अपितु पूरी संस्था का सम्मान है और इसी प्रसन्नता का उत्सव यह कार्यक्रम है। उन्होंने संस्था को १५ वर्षों से आगे बढ़ाने में शैलजा जी के धैर्य, बहुत तेज़ी से योजना बनाने, क्रियान्वित करने और सभी को उनकी योजनाओं पर कार्य करने सहमति देने की प्रशंसा की। अंत में दीपक राजदान जी ने सभी अतिथियों को इस महत्वपूर्ण से जुड़ने के लिए धन्यवाद दिया और भोजन के लिए आमंत्रित किया। सभी ने आनंदपूर्ण कार्यक्रम के बाद सुस्वादु भोजन का आनंद लिया। इस प्रकार हिन्दी राइटर्स गिल्ड का एक और सुंदर कार्यक्रम संपन्न हुआ। रिपोर्ट : आशा बर्मन सहयोग : बंदिता सिन्हा