hindiwg@gmail.com
side-design

समीक्षा पर चर्चा

side-design
side-design

हिन्दी राइटर्स गिल्ड में समीक्षा पर चर्चा

13 जुलाई, 2014, ब्रैम्पटन - हिन्दी राइटर्स गिल्ड की इस बार की मासिक गोष्ठी में "समीक्षा" पर चर्चा होनी निर्धारित थी। ब्रैम्पटन की लाईब्रेरी के सभागार में दोपहर के बाद २ बजे आए लोगों का स्वागत करते हुए सुमन कुमार घई ने बताया कि आज का कार्यक्रम दो सत्रों में होगा। पहले सत्र में समीक्षा पर चर्चा की जाएगी, जिसमें तीन वक्ता होंगे – जसबीर कालरवि, डॉ. शैलजा सक्सेना और स्वयं सुमन कुमार घई। दूसरे सत्र में काव्य गोष्ठी होगी। पहले सत्र के पहले वक्ता जसबीर कालरवि थे। जसबीर मौलिक रूप से पंजाबी के लेखक थे परन्तु पिछले कुछ वर्षों से निरंतर हिन्दी में भी लिख रहे हैं। उनकी दो पुस्तकें; एक काव्य संग्रह और एक उपन्यास हिन्दी में प्रकाशित हो चुके हैं। जसबीर ने बताया कि आलोचना श्ब्द खोज से शुरू हुआ और अरस्तू ने लिखा कि आलोचना वास्तव में सुन्दरता की खोज है। वक्रवाद, रसवाद, रीतिवाद रहस्यवाद जिसे प्लेटो ने माया कहा की बात करते हुए वह चर्चा को रूपवाद, जो रूस में परिभाषित हुआ, से प्रतीकवाद तक ले आए। अंत में उन्होंने समालोचकों और नवोदित लेखकों में कड़वे संबंधों को अभिव्यक्त करती हुई पंजाबी की रचना सुनाई जो कि उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में लिखी थी।
डॉ. शैलजा सक्सेना ने समीक्षा के शास्त्रीय आधार से चर्चा आरम्भ की और कहा कि समीक्षा का आधार साहित्यिक वर्गीकरण है। उन्होंने समीक्षा को में आधुनिक और पुरातन संदर्भों में परिभाषित किया।
सुमन कुमार घई ने गत दिनों साहित्य कुंज.नेट पर प्रकाशित हुए डॉ. मज़ीद खान मिया के शोत्र पत्र "हिन्दी समालोचना : समस्याएँ एवं समाधान" पढ़ा। इसमें समालोचनाओं में देखी जा रही कमियों और उनके समाधानों के बारे में लिखा गया था।
तीन वक्ताओं के बाद प्रश्नोत्तर का सत्र आरम्भ हुआ और इसके साथ ही जीवंत चर्चा शुरू हो गई। डॉ. इन्दु रायज़ादा, आचार्य संदीप त्यागी "दीप" ने अपने विचार विस्तारपूर्वक रखे। डॉ. इंदु रायज़ादा ने समालोचकों द्वारा लेखक की मानसिकता समझने पर बल दिया गया और दूसरी ओर संदीप त्यागी ने संस्कृत साहित्य की चर्चा करते हुए समीक्षा की बात की। इस सत्र के अंत में निर्णय लिया गया कि अगली गोष्ठी में कुछ रचनाओं या पुस्तकों की समालोचना गिल्ड के सदस्य करेंगे और इस चर्चा को आगे बढ़ाया जाएगा।
अल्पाहार के बाद कार्यक्रम का दूसरा सत्र आरम्भ हुआ जिसका संचालन कृष्णा वर्मा ने किया। काव्य पाठ करने वाले थे – मीना चोपड़ा, पूनम चन्द्रा मनु, निर्मल सिद्धू, पूनम कासलीवाल, नरेन्द्र ग्रोवर (इंग्लैंड के गीतांजली के सदस्य), सविता अग्रवाल, प्रमिला भार्गव, जगमोहन सांगा, डॉ. इन्दु रायज़ादा, हरबीर ग्रेवाल, पंकज शर्मा, सुमन कुमार घई, डॉ. शैलजा सक्सेना और कृष्णा वर्मा।

side-design
!Email Already Exist
We will never share your email with anyone else.