भावनाओं के भवँर से
हिंदी साहित्य के क्षेत्र में कार्यरत कैनेडा की जानी मानी बहुआयामी संस्था हिंदी राइटर्स गिल्ड की इस वर्ष की द्वितीय मासिक गोष्ठी 13 फ़रवरी 2016 को 150 सेन्ट्रल पार्क ड्राइव, चिन्कूज़ी लाइब्रेरी, ब्रैम्पटन में २ से ५ बजे तक अत्यंत हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुई। सर्वप्रथम सब सदस्यों ने आपस में एक दूसरे से गले मिलकर वसंत पंचमी की शुभ कामनाओं का आदान-प्रदान किया और बाहर का तापमान शून्य से लगभग ३० डिग्री सेल्सियस कम होने के कारण सबने गरमागरम चाय, पकोड़ों, बर्फी और ढोकले का आनंद श्रीमती सविता अग्रवाल और श्री संजीव अग्रवाल के सौजन्य से उठाया। कार्यक्रम दो भागों में संपन्न हुआ। प्रथम भाग में हिन्दी राइटर्स गिल्ड की सदस्या एवं परिचालन निदेशिका श्रीमती सविता अग्रवाल “सवि” के प्रथम काव्य संग्रह “भावनाओं के भंवर से” पर चर्चा हुई। श्रीमती आशा बर्मन ने प्रथम भाग की संचालिका के रूप में मंच सँभालते हुए सबका स्वागत किया और बसंत पंचमी की शुभ कामनाएँ दीं। इस चर्चा में इस पुस्तक पर अपना वक्तव्य देने वालों में सर्वप्रथम श्री सुमन कुमार घई (हिंदी राइटर्स गिल्ड के संस्थापक निदेशक) जी ने सविता जी की रचनाओं को सकारात्मक अभिव्यक्ति और आशावादी कहा और “खण्डहर अवशेष” नामक कविता को कर्म ज्ञान का संकेत देती कविता बताकर अपने विचार प्रकट किये। तत्पश्चात् श्री उमा दत्त “अंजान” जी को मंच पर आमंत्रित किया गया। उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर पुस्तक के मुखपृष्ठ की प्रशंसा करते हुए साहित्यिक शब्दों में अपना वक्तव्य दिया। इसके बाद आचार्य संदीप त्यागी को मंच पर आमंत्रित किया गया जिन्होंने कविताओं के कुछ भाग पढ़ते हुए रचनाओं को आशावान बताया। फिर श्रीमती भुवनेश्वरी पाण्डेय ने अपनी सरल भाषा में सविता जी की कविताओं को सामाजिक और रिश्तों को साथ लेकर चलने वाली बताया। तत्पश्चात् श्री अजय गुप्ता ने अपने अद्भुत हास्य भाव से विचार प्रस्तुत किये। अगली वक्ता डॉ. शैलजा सक्सेना (हिंदी राइटर्स गिल्ड की संस्थापक निदेशिका) मंच पर आयीं और उन्होंने साहित्यिक ज्ञान के आधार पर भंवर को एक द्वंद्व बताया और उनकी कविताओं को आशावान भावों से पूर्ण बताया। अंत में यह कहकर कि यह कवयित्री का पहला चरण है अंतिम नहीं, अपना वक्तव्य पूर्ण किया। इसके बाद श्रीमती प्रमिला भार्गव ने सविता जी की कविताओं को भंवर से निकलता लावा बताया और कहा कि उनकी कवितायेँ पाठक को एक नूतन धरातल पर लाकर खड़ा करती हैं। उन्होंने पुस्तक में छपी कुछ क्षणिकाओं की भी चर्चा की। इसके पश्चात आशा जी ने कमांडर संजीव अग्रवाल (सविता जी के पति) को मंच पर आमंत्रित किया। संजीव जी ने इस पुस्तक के प्रकाशन के समय के अपने अनुभवों पर प्रकाश डाला और अपनी रचना “हे सविते” का पाठ किया। अंत में श्रीमती आशा बर्मन को मंच पर आमंत्रित किया गया। उन्होंने अपने विशेष ढंग से सविता जी के व्यक्तित्व के बारे में चर्चा करते हुए उनकी कविताओं को एक सरल अभिव्यक्ति बताया और इस प्रकार कार्यक्रम के प्रथम सत्र का समापन हुआ।