होली महोत्सव2025
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हिन्दी राइटर्स गिल्ड कैनेडा द्वारा होली के रंगों और विभिन्न भारतीय मातृभाषाओं के मधुर
गीतों से सराबोर एक अनूठे कार्यक्रम “होली के गीत-रंग, मातृभाषाओं के संग” का भव्य आयोजन
ब्रैम्पटन की स्प्रिंगडेल लाइब्रेरी में किया गया। यह कार्यक्रम न केवल रंगों का उत्सव था, बल्कि
भारत की समृद्ध भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का भी उत्सव था, जिसमें भारत की विभिन्न
भाषाओं के लोकगीतों और पारंपरिक नृत्यों को प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र का संचालन गिल्ड के निदेशक संदीप सिंह द्वारा किया गया। मंच
संचालक ने सभी उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया व कार्यक्रम की रूपरेखा से अवगत
कराया। इसके पश्चात उन्होंने गिल्ड की संस्थापक निदेशिका डा. शैलजा सक्सेना को अतिथियों
का स्वागत करने हेतु मंच पर सादर आमंत्रित किया। शैलजा जी ने सभी का कार्यक्रम में पधारने
के लिये हृदय से आभार व्यक्त किया । उन्होंने कहा
कि “होली केवल रंगों का नहीं, बल्कि हमारी विविधता और एकता का पर्व है। जब भारत की अनेक मातृ
भाषाओं में होली के गीत गाए जाते हैं, तो पूरा भारत साकार हो जाता है, तब होली के रंग काशमीर से
तामिलनाडू तक उड़ते हुए दिखते हैं।”
स्वागत के पश्चात शैलजा जी व गिल्ड के निदेशक मंडल ने अमेरिका से पधारी प्रसिद्ध लेखिका
व RJ मीनाक्षी धन्वंतरि जी की पुस्तक “ मैं हूँ इक लम्हा“ का लोकार्पण किया । शैलजा जी ने
कहा कि किस प्रकार से महिला लेखिकाएँ जीवन की व्यस्तताओं में से पल पल ( लम्हा) बचा
कर अपनी अभिव्यक्ति व संसार की विषमताओं को काग़ज़ पर कहानी व कविता के रूप में
लिखती हैं । उन्होंने कहा महिला लेखिकाओं के लिये लेखन कोई विलासिता या अभिजात्यीय
शौक नहीं है अपितु विवशता है । इसके पश्चात गिल्ड की निदेशिका कृष्णा वर्मा जी ने मीनाक्षी
जी की पुस्तक पर संक्षिप्त टिप्पणी में कहा कि इनकी कविताओं में मानवीय संवेदना, दया, पीड़ा
का समावेश है। इनकी कविताओं को पढ़ कर ऐसा लगता है जैसे हम अपने भीतर की पीड़ाओं व
संवेदनाओं से टकरा रहे हैं । उन्होंने मीनाक्षी जी को उनकी पुस्तक के लिए बधाई व
शुभकामनाएँ दी। शैलजा जी ने मीनाक्षी जी की कविता के कुछ अंश पढ़ते हुए उन्हें मंच पर
अपनी कविता प्रस्तुत करने के लिये आमंत्रित किया। मीनाक्षी जी ने शैलजा जी, कृष्णा जी व
विद्या भूषण धर व रामेश्वर काम्बोज जी को अपनी इस पुस्तक के लोकार्पण के लिये धन्यवाद
किया । उन्होंने पुस्तक से जुड़े अनुभवों के साथ साथ अपनी एक कविता सुना कर श्रोताओं को
भाव विभोर कर दिया। ।
पुस्तक लोकार्पण के पश्चात गिल्ड के सभी निदेशक मण्डल ने रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्व विद्यालय
भोपाल द्वारा जारी “ विश्व रंग हिन्दी ओलम्पियाड” के पोस्टर का लोकार्पण किया । ड़ा शैलजा
सक्सेना द्वारा पोस्टर सम्बंधित जानकारी दी गई। संस्था का रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के
साथ एक समझौता ज्ञापन है जिसके अंतर्गत सितम्बर १४ से सितम्बर ३० तक हिन्दी राइटर्स
गिल्ड कैनेडा भी हिन्दी ओलंपियाड २०२५ का आयोजन करेगी। इस सूचना का पोस्टर संस्था के
निदेशक मंडल ने लोकार्पित किया।
तत्पश्चात् होली के सुस्वादिष्ट पकवान कचौड़ी, चना, पकौडे, मठरी, गुजिया, गुलाबजामुन और
ठंडाई-चाय आदि का आनंद लिया गया।
जलपान के बाद दूसरे सत्र में होली के विशेष रंगारंग कार्यक्रम का प्रारंभ हुआ। जिसका संचालन
करने के लिये संदीप जी ने गिल्ड के निदेशक योगेश ममगाईं को मंच पर आमंत्रित किया।
होली की शुभकामनाओं के साथ संचालक द्वारा प्रथम प्रस्तुति के लिये गिल्ड की सदस्या एवं
टोरोंटो की जानी-मानी TV host and Anchor मानोषी चैटर्जी को आमंत्रित किया जिन्होंने अपनी
मधुर आवाज़ में “खेलूँ कैसे मैं पी संग होली” शास्त्रीय गीत गा कर कार्यक्रम का गरिमापूर्ण प्रारंभ
किया। इसके बाद संस्था में पहली बार पधारी सुधा जी ने प्रकृति व उसके रंगों पर आधारित
मीठा तमिल गीत गा कर दर्शकों की खूब तालियाँ बटोरी। संचालक द्वारा उत्तराखंड का होली
गीत प्रस्तुत करने हेतु नीरजा जोशी जी को मंच पर आमंत्रित किया गया ।जिन्होंने उत्तराखंड में
महिलाओं द्वारा दिन में होली और पुरुषों द्वारा रात को होली गाने की रोचक बात बताते हुए,
अपनी मधुर आवाज़ व ढोलक की ताल पर “बुरूंशी का फूल को कुमकुम मारो“ व “हरी पहने
मुकुट खेरें” होली से वातावरण में उत्साह के रंग बिखेरे। इसके बाद महाराष्ट्र के लोकगीत पर
कल्पना जाँभळे जी ने नृत्य किया जिसमें सखियाँ राधा की सखियों से बातचीत थी। इसके बाद
मानोशी चटर्जी, प्रीति अग्रवाल, डा. बंदिता सिन्हा, मंजूँ सती, स्नेह धर, पूनम ममगाईं योग माया
व नीरजा जोशी ने छत्तीसगढ के होली लोकगीत पर ऐसा समाँ बाँधा कि गिल्ड के सदस्यों सहित
दर्शकों को झूमनें पर विवश कर दिया। छाया कोटनाला जी के “फागुन के दिन आये रे“ गीत का
सभी ने तालियों से आभार व्यक्त किया। अब बारी थी श्रद्धा व माण्डवी की जिन्होंने प्रसिद्ध
गीत, “अरे जा रे हट नटखट,न छू रे मेरा घूँघट….” गीत पर बेमिसाल नृत्य कर राधा-कृष्ण की
होली को नृत्य और संगीत के माध्यम से जीवंत कर दिया। तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल
गुंजायमान हो गया । तत्पश्चात् योगेश ममगाँईं ने तारा वार्षणेय जी को ब्रज का होली गीत
प्रस्तुत करने के लिये सादर आमंत्रित
किया। उन्होंने “आज बिरज में होली है रे रसिया …” व कुछ अन्य गीतों से सभी का खूब
मनोरंजन किया। ढोलक, मंजीरा जैसे वाद्यों पर संगत दी नीरजा, मानोशी व श्रद्धा ने।
उसके बाद संचालक ने शास्त्रीय नृत्य में पारंगत आशना सक्सेना जी को मंच पर नृत्य प्रस्तुति
के लिये आमंत्रित किया। इसी मंच पर वे पहले भी “कनुप्रिया” पर कत्थक नृत्य कर चुकी हैं ।
उन्होंने बृज, राजस्थानी और सूफ़ी होली पर नृत्य के तीन छोटे टुकड़े प्रस्तुत करके सभी को
मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस बहुभाषी कार्यक्रम में अब बारी थी कश्मीर की। कश्मीरी भाषा में माता रानी से मोक्ष की
प्रार्थना करता आध्यात्मिक गीत लेकर आईं स्नेह धर जी। जिनकी मीठी आवाज़ ने पहाड़ों में
भक्ति की पुकार की तरह पूरे वातावरण को भक्तिमय कर दिया।इसके बाद नीरजा जोशी की
ढोलक की ताल पर टोरोंटो से पधारी माधुरी बहुगुणा जी के बिहारी गीत “मोरी रंग भरी गगरी
उतारो रसिया” को सभी ने खूब सराहा। आशना सक्सेना जी ने अपनी नानी कमलेश सक्सेना जी
द्वारा स्वरबद्ध गीत ,”ऐरि आज होरी मैं खेलूँगी डट के….” गाकर नृत्य के साथ साथ अपने मँझे
हुए कंठ का भी परिचय दिया। होली का कार्यक्रम हो और हंसी ठिठोली न हो भला ये हो सकता
है। कुछ ऐसा ही माहौल बनाये रखने में जिन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई अगर उनका ज़िक्र न
हो तो ये रिपोर्ट अधूरी रहेगी। डा. बंदिता सिन्हा व कामिनी सिंह द्वारा बीच- बीच में गिल्ड
परिवार के विभिन्न लोगों पर लिखे “जोगीरा सा रा रा रा “ गा कर सबका खूब मनोरंजन किया।
उनके द्वारा बिहारी/अंगिका भाषा में अभिनीत एक गीत नाटिका ने तो सबका खूब मनोरंजन
किया। गिल्ड की वरिष्ठ सदस्या इंदिरा वर्मा जी ने गिल्ड के प्रति स्नेह को भारत प्रवास से ही
अपने गाने “जब श्याम आयेंगे बृज में पलट के, खेलूँगी होली उन संग डट के …”की ऑडियो
क्लिप भेज कर प्रकट की। उनकी मधुर आवाज़ ने सबको भाव विभोर कर दिया। सांस्कृतिक
कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति के रूप में प्रीति अग्रवाल जी ने “आज बिरज में होली रे रसिया…”
गाकर होली के इस कार्यक्रम को और भी रंगीन कर दिया। दर्शकों के भरपूर सहयोग से ये
कार्यक्रम बहुत ही सफल रहा। अंत में गिल्ड के निदेशक संदीप सिंह जी ने इस कार्यक्रम को
सफल बनाने के लिए सबका धन्यवाद किया।
“होली के गीत-रंग, मातृभाषाओं के संग” कार्यक्रम न केवल एक मनोरंजक आयोजन था, बल्कि
इसने भारतीय संस्कृति की विविधता, एकता और भाषा प्रेम का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया।
रंगों, सुरों और ताल के इस संगम ने सभी के दिलों में होली की खुशियाँ बिखेर दीं और सभी को
यह याद दिलाया कि हमारी मातृभाषाएँ ही हमारी असली पहचान हैं।
रिपोर्ट:~ ( योगेश ममगाईं)