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वार्षिक महोत्सव
2023

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वार्षिक महोत्सव 2023

शरदोत्सव 2023
सभी हिंदी प्रेमी 16 दिसम्बर 2023 की बड़ी आतुरता से प्रतीक्षा कर रहे थे क्योंकि इस दिन स्प्रिंगडेल ब्राँच लाइब्रेरी में इस वर्ष का अंतिम और अति विशेष कार्यक्रम, ‘शरदोत्सव’ मनाया जाना था। दोपहर 1 बजे सभी लाइब्रेरी में एकत्र हुए और हॉल की साज-सज्जा में लग गए।
एक और बंदिता जी द्वारा लाई भगवान बुद्ध की प्रतिमा को सजाया गया, तो दूसरी ओर विद्या भूषण जी द्वारा सुयोजित जल-पान का प्रबंध किया गया।
कार्यक्रम की परिकल्पना डॉ. शैलजा सक्सेना जी ने और संयोजना पूनम चंद्रा ‘मनु’ जी ने की थी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चांसरी-प्रमुख श्री संजीव सकलानी जी ने समय पर पहुँच कर सभी की ऊर्जा और उमंग को दोगुना कर दिया। संचालन की बागडोर श्री योगेश ममगईं जी के कुशल हाथों में सौंपी गई। कार्यक्रम का शुभारंभ टोरोंटो की लोकप्रिय लेखिका और शास्त्रीय संगीतज्ञ, मानोशी चैटर्जी की सरस्वती वन्दना से हुआ। अपने कोकिल स्वर और भावपूर्ण भक्तिगीत से उन्होंने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके पश्चात सुमन घई जी ने उदार हृदय से सकलानी जी और सभी उपस्थित साहित्य प्रेमियों का स्वागत करते हुए स्पष्ट किया कि इस वर्ष हम औपचारिक रूप से वार्षिकोत्सव करने में असमर्थ रहे क्योंकि गिल्ड ने काफ़ी मात्रा में धनकोश से राशि, कोविड पीड़ितों की सहायता हेतु भारत भिजवा दी थी। उनका विनम्र निवेदन था कि ‘शरदोत्सव’ को वार्षिक उत्सव ही समझा जाए। सुमन जी ने वरिष्ठ सहयोगी साहित्यकारों की स्मृतियों को सम्मान देते हुए उनसे आशीर्वाद भी माँगा। उसमें स्वर्गीय श्री अखिल भंडारी जी, महाकवि श्री हरिशंकर आदेश जी, श्री भगवत शरण श्रीवास्तव जी, श्री अटल पांडे जी, श्री अरुण बर्मन जी और टोरोंटो में पहला हिन्दी समाचार पत्र निकालने वाले श्री उमेश विजय जी थे। गतवर्ष की गिल्ड की उपलब्धियों का मानचित्र प्रस्तुत करने के लिए मंच पर कृष्णा वर्मा जी को आमंत्रित किया गया। कृष्णा वर्मा जी ने अपनी विस्तृत वार्षिक रिपोर्ट में कोरोना काल में रचे साहित्य और प्रकाशन का उल्लेख किया जिसमें सपनों का आकाश-पद्य संकलन, सद्भावनाओं की धरती-गद्य संकलन, सुमन घई जी की ‘वह लावारिस नहीं थी’, शैलजा सक्सेना जी की ‘लेबनान की एक रात’ उल्लेखनीय थे। कृष्णा जी की चार पुस्तकें भी इस समय में छपीं। गिल्ड के साल भर के सफ़र के प्रमुख कुछ महत्त्वपूर्ण आयोजन थे—विश्व हिन्दी दिवस पर ७३ बच्चों का हिन्दी कविता प्रतियोगिता, फिजी में विदेश मंत्रालय, भारत, द्वारा आयोजित “१२वाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन” में डॉ. शैलजा सक्सेना जी का ‘विश्व हिंदी सम्मान’ प्राप्त करना, श्री विजय विक्रांत जी का ‘विशिष्ट हिंदी सेवा’ का सम्मान प्राप्त करना, मातृ भाषा दिवस, सुमित्रानंदन पंत जी और नागार्जुन जी के व्यक्तित्व और वक्तत्व पर चर्चा, विक्रांत जी के संस्मरण ‘यादें ईरान की’ का प्रकाशन, स्वतंत्रता दिवस, ‘दीप जलाए रखना’ और अब ‘शरदोत्सव'। विशेष उपलब्धियों भरे वर्ष के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने की कृष्णा जी ने सब को बधाई दी।
मुख्य अतिथि, चांसरी प्रमुख—आदरणीय संजीव सकलानी जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी के प्रचार और प्रसार में हिंदी राइटर्स गिल्ड का विशेष योगदान है और हिंदी को विश्व में उच्चतम स्थान दिलाने के लिए कॉउंसिल भी अपना पूरा योगदान देगी। उनके इस आश्वासन से सब में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी। उन्होंने शरदोत्सव में कालजयी रचनाओं के समायोग और पूरे कार्यक्रम की परिकल्पना की प्रशंसा की। हिन्दी राइटर्स गिल्ड कैनेडा की ओर से श्री विजय विक्रांत और श्री सुमन कुमार घई जी द्वारा सकलानी जी को बधाई दी गई। इसके पश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रारंभ हुआ तरुण मंच से अविका सिंह और डॉ. बंदिता सिन्हा ने राष्ट्रीय एकता पर के सुंदर नाटिका प्रस्तुत की जिसका सन्देश था कि भले ही हमारी वेषभूषा आदि अलग है पर मानवता ही हम सब का एकमात्र धर्म है। नौ वर्षीय श्लोक सिंह ने छट पूजा की विधि और महिमा का सहज स्पष्ट शब्दों में वर्णन करके सबका दिल जीत लिया। पूरे कार्यक्रम के दौरान योगेश ममगईं जी ने अपने कुशल और रोचक संचालन द्वारा श्रोताओं को बाँधे रखा। उन्होंने मंच पर, बिरजू महाराज से सम्मान-प्राप्त, भरतनाट्यम और कत्थक नृत्यांगना आशना सक्सेना को आमंत्रित किया जिन्होंने धर्मवीर भारती जी की विश्वप्रसिद्ध ‘कनुप्रिया’ के काव्यांश के पाठन पर शास्त्रीय नृत्य नाटिका प्रस्तुत की। उनके हाव भाव, मुद्राएँ और नृत्य शैली इतनी मनमोहक थी कि दर्शक मंत्रमुग्ध होकर एकटक देखते रहे। तालियों की गड़गड़ाहट से सारा हॉल गूँज उठा। इसके उपरान्त, राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर जी द्वारा रचे कालजयी खण्ड काव्य ‘रश्मिरथी’ के नाटकीय रूपांतरण प्रस्तुत किया। ‘कृष्ण-कर्ण संवाद’ में कृष्ण की भूमिका पीयूष श्रीवास्तव जी ने, कर्ण की संदीप सिंह जी और सूत्रधार की विद्या भूषण धर जी ने बख़ूबी निभाई। तीनों उत्कृष्ट कलाकारों ने ऐसी सशक्त अभिव्यक्ति की कि देखने वाले प्रशंसा करते न थके। प्रसिद्ध गायिका, कविता सहाय जी ने अपने मधुर स्वर में मीरा बाई के दो अति सुंदर भजन गिटार और की-बोर्ड पर प्रस्तुत किए, जिन्हें सब लोगों ने बहुत सराहा। अब बारी थी जलपान ग्रहण करने की। सब ने विद्या भूषण धर जी प्रयासों द्वारा महक रेस्टोरेंट द्वारा प्रायोजित किए गए जलपान में समोसे, मिठाई, बंदिता जी द्वारा लाये ठेकुआ का आनंद उठाया। ब्रेक के बाद आदरणीय विक्रांत जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने कौंसलावास, श्री संजीव सकलानी का हार्दिक आभार प्रकट किया, तद्पश्चात उन्होंने सभी सदस्यों, श्रोताओं, और कलाकारों को भाग लेने और आर्थिक रूप से सहयोग देने के लिए धन्यवाद दिया। ब्रैम्पटन लाइब्रेरी का आभार प्रकट किया जो हर माह हमें निःशुल्क हॉल देती है। इतने ख़ुशगवार मौसम के लिए उन्होंने ईश्वर और मौसम विभाग का भी धन्यवाद किया तथा नई पीढ़ी द्वारा संस्था के दायित्व को सही तरह निबाहने के लिए बधाई दी तथा कहा, “इस संस्था को मेरे बच्चों को रखना सँभाल के” जिस पर ख़ूब तालियाँ बजीं। दूसरे हिस्से में प्रीति अग्रवाल जी द्वारा स्वरचित, सशक्त लघुकथा ‘अधिकार’ द्वारा कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। इसके माध्यम से उन्होंने सशक्त संदेश दिया कि हमें अपनी बेटियों को केवल उनकी ज़िम्मेदारियाँ ही नहीं, उनके अधिकारों से भी अवगत कराना चाहिए। इसकी बहुत प्रशंसा की गई। इसके बाद डॉ. शैलजा सक्सेना और मानोशी चटर्जी ने मैथिलीशरण गुप्त जी की प्रसिद्ध रचना ‘यशोधरा’ के काव्यांश पर आधारित अत्यंत मार्मिक और भावपूर्ण श्रुति-नाट्य अभिव्यक्ति की कि दर्शक अभिभूत हो गए। यशोधरा के ‘सखी वे मुझ से कह कर जाते” और सखी का यशोधरा के दुख की मुक्ति, स्त्री की साधना और प्रेम की पुकार द्वारा वियोग का मार्मिक चित्रण किया गया था, ऐसी सुन्दर प्रस्तुति शायद ही पहले कभी हुई होगी। अंत में गिरीश पंकज जी के व्यंग्य ‘देश की पुकार’ को श्रुति नाटक के रूप में प्रस्तुत किया गया। इसका निर्देशन कृष्णा वर्मा जी ने किया था। अभिनय करने मंच पर उतरे गिल्ड के सात जगमगाते सितारे-दीपक राज़दान, डॉ. नरेंद्र ग्रोवर, नवीन पाण्डेय, सुरेश पाण्डेय, पीयूष श्रीवास्तव, विद्याभूषण धर, और कृष्णा वर्मा जी। नाटक का संदेश था कि देश गड्ढे में पड़ा है, सब देख रहे हैं पर या तो तटस्थ हैं या उस पर टिप्पणी कर रहे हैं, या उसे राजनैतिक मुद्दा बना रहे हैं पर उसकी दुर्गति में कोई सहायता करने को तैयार नहीं, अंत में एक बच्चे ने देश की पुकार सुनी और उसके भविष्य को बचाने की आशा प्रदान की! सशक्त अभिनय से सुसज्जित, समसामयिक परिस्थितियों और परिणामों से सचेत करते इस सुंदर श्रुति नाटक ने कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए।
इस प्रकार हिंदी राइटर्स गिल्ड कैनेडा का एक और कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। जनवरी, २०२४ में विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर बाल कविता प्रतियोगिता के आयोजन की सूचना भी दी गई कि बच्चे २७ अगस्त तक वीडियो से अपनी प्रस्तुति भेज दें। सभी के मन में सफल कार्यक्रम को लेकर अत्यंत प्रसन्नता और उत्साह था और नए वर्ष के लिए मंगलकामना थी कि हमारे इस परिवार का पारस्परिक प्रेम यूँही बना रहे और हम अपनी मातृभाषा हिंदी की सेवा में यूँही योगदान देते रहें। जयहिंद, जय हिंदी!
-प्रीति अग्रवाल

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