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हिन्दी दिवस
सितम्बर 2023

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हिन्दी दिवस सितम्बर 2023

रिपोर्ट - कृष्णा वर्मा
शनिवार दिनांक 16 सितम्बर, 2023 को ब्रैम्पटन की चिंकूज़ी लाइब्रेरी में हिन्दी राइटर्स गिल्ड ने टोरोंटो स्थित भारतीय काउंसलावास के सहयोग से हिन्दी दिवस का आयोजन किया।
कार्यक्रम को दो सत्रों में रखा गया। पहले सत्र में परिचर्चा जिसका विषय था "कोरोनाकाल की चुनौतियों को संभावनाओं में बदलती हिन्दी" तथा दूसरे सत्र में कैनेडा में हिन्दी के प्रचार-प्रसार से जुड़े कर्मठ सहयोगियों को काउंसलावास द्वारा सम्मान की प्राप्ति।
गिल्ड की प्रबंधन समिति के सदस्य श्री योगेश ममगाईं जी ने सभागार में उपस्थित सभी का स्वागत अभिनन्दन करते हुए पहले सत्र के संचालन की कमान संभाली। सर्वप्रथम टोरोंटो की प्रसिद्ध गायिका और साहित्यकार मानोशी चटर्जी को सादर आमंत्रित किया। परम्परा के अनुसार गोष्ठी का शुभारंभ मानोशी चटर्जी के सुमधुर स्वर में सरस्वती वंदना से हुआ। तदुपरांत ममगाईं जी ने आज की चर्चा में भाग ले रहे सहभागियों में से सबसे पहले श्रीमती आशा बर्मन जी को सादर आमंत्रित किया।
आशा बर्मन जी ने उपरोक्त विषय पर अपने विचार साझा करते हुए कहा- 'करोनाकाल में एक ओर जीवन की गतिविधियाँ सीमित हो गई थीं पर साथ ही साथ ऐसे कठिन समय में यह आशीर्वाद के रूप में हमें मिला ज़ूम तथा गूगल मीट आदि जिसके द्वारा हम घर में भी रहकर सारे विश्व से कई देशों के हिंदी के विद्वानों से जुड़ सके। ब्लेसिंग इन डिसगाइज। मेरा सौभाग्य रहा है कि मैं इस हिंदी वैश्विक परिवार के साथ जुड़ी हूँ। इस करोना काल में हिंदी राइटर्स गिल्ड कैनेडा ने आभासी मंच पर कई कवि गोष्ठियाँ कीं। अंत में मैं यह कहना चाहूँगी कि सचमुच ही करोना की चुनौतियों में हिंदी भाषा पहले से कहीं अधिक समर्थ हुई है और विदेशों में रहने वाले हिंदी के लेखकों की स्थिति भारतवर्ष में भी सम्मानित हुई है। उन्हें फिजी में सम्मान दिया गया है जैसे शैलजा जी को। यहाँ के लेखकों पर शोध हो रहे हैं यह गर्व की बात है। हमारी हिंदी नि: संदेह हर प्रकार से ही करोनाकाल के समय आभासी मंचों के द्वारा पहले से अधिक समृद्ध हुई है।'
गिल्ड की सह संस्थापिका निर्देशिका श्रीमती शैलजा सक्सेना जी ने अपने वक्तव्य में स्पष्ट किया कि संभावना जब तक यथार्थ नहीं बनती तब तक उसमें चुनौती छिपी रहती है तो हर एक व्यक्ति को संस्थाओं और सरकारों से ही सदा अपेक्षा करते रहने के स्थान पर अपने भीतर, अपने क्षेत्र और राज्य के भीतर हिंदी के उपयोग और प्रयोग की, प्रसार और प्रचार की संभावनाओं को देखना चाहिए चाहें वे भारतीय रेस्टोरेंट के मेन्यू कार्ड पर अंग्रेज़ी के साथ हिन्दी लेख के लिए हो या सरकारी पत्रों के हिन्दी अनुवाद के लिए हो.. ऐसे अवसर ढूँढने चाहिए जहाँ हिन्दी का प्रयोग बढ़ सके।
गिल्ड के सह संस्थापक निर्देशक श्री सुमन कुमार घई जी ने अपना लेख पढ़ते हुए करोनाकाल में हिन्दी भाषा में हुए विकास के कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उनका कहना है कि करोनाकाल से पहले सोशल मीडिया का अधिकतर उपयोग युवा वर्ग ही करता रहा है जो हिन्दी को रोमन लिपि में लिखता था लेकिन करोनाकाल में लेखकों की ऐसी बाढ़ आई कि हिन्दी देवनागरी में लिखी जाने लगी और हिन्दी का भाग्य बदल गया। ज़ूम, गूगलमीट पर साहित्यिक कार्यक्रमों में जाने-माने लेखकों को जानना संभव हुआ। प्रसारण का काम दूरदर्शन, आकाशवाणी तक सीमित न रहकर बेरोक-टोक अंतर्राष्ट्रीय मंच से प्रसारित होने लगा। प्रवासी साहित्यकारों से परिचित होना संभव हुआ। "विश्व रंग सम्मेलन" इसका एक बड़ा उदाहरण है। महामारी ने साहित्य को ऐसा नया विषय दिया जिस पर बेशुमार लिखा गया जो युगों तक पढ़ा जाएगा और उस पर कई विचार विमर्श भी होंगे।
परिचर्चा की अगली भागीदार थीं गिल्ड की परिचालन निदेशिका श्रीमती कृष्णा वर्मा जिन्होंने कोरोना वायरस को सदी का एक ऐसा भयानक युद्ध बताया जिससे लड़ा नहीं केवल मरा जा सकता था। ऐसी भयवयता के चलते हिन्दी में हुए आशातीत विकास के लिए तकनीक, सोशल मीडिया को सराहा जिसने तालाबंदी में भी विश्व भर के साहित्यकारों, लेखकों के लिए गूगल मीट, ज़ूम, फ़ेसबुक लाइव, व्हाट्सएप, ट्विटर, इंस्टाग्राम, स्ट्रीमयार्ड की नई खिड़कियाँ खोलकर साहित्यिक कार्यक्रमों को ग्लोबल कर दिया, साहित्य की अनेकों विधाओं पर चर्चाएं होने लगीं। सुप्त विधाओं में नव संचार हुआ और हिन्दी को अत्यधिक बढ़ावा देने एवं सरलतम बनाने के लिए नए-नए ऐप्स खोजे जाने लगे। ऐसी विषम परिस्थितियों में भी साहित्य जगत जागरुक रहा यह अपने आप में भाषा के प्रचार प्रसार का द्योतक है।
वंदिता सिन्हा जी ने अपनी प्रस्तुति में कहा कि मैं हिंदी राइटर्स गिल्ड की बहुत आभारी हूँ कि कोरोना काल की विषम परिस्थितियों में इसने हमारी बाँह थाम कर हमारे मनोबल को बढ़ाया। हिंदी राइटर्स गिल्ड के माध्यम से अपने दुखों को भूल हम एक दूसरे के सम्पर्क आए और हिंदी बोलकर अपनी माँ को अपनी मातृभूमि को अपने पास पाया। सच पूछिए तो कोरोना के बूस्टर के तो कई दुष्परिणाम सामने आए परंतु हिंदी बूस्टर लगने के बाद तो एक अनोखा और विशुद्ध रक्त का संचार होने लगा। इस मंच के माध्यम से आप सभी का और विश्व के सभी चिकित्सकों का आभार प्रकट करती हूँ।'
प्रथम सत्र के बाद सभी अतिथियों ने काउंसलावास की ओर से दिए गए जलपान का आनंद उठाया।
दूसरे सत्र की गतिविधियों से अवगत करवाते हुए गिल्ड के निदेशक श्री संदीप कुमार जी ने इस सत्र का संचालन कार्य संभाला। सबसे पहले डॉ. शैलजा सक्सेना जी को आमंत्रित किया जिन्होंने काउंसलावास के हैड ऑफ़ चाँसरी श्री संजीव सकलानी जी को पुष्पगुच्छ प्रदान कर उनका सम्मान किया।
श्री सकलानी जी ने हिन्दी भाषा को राज भाषा बताते हुए कहा कि हिन्दी भाषा विश्व की भाषाओं में चौथे स्थान पर आती है। विश्व स्तर पर इसे बढ़ावा देने के लिए हमें और अधिक कार्य करना होगा। तत्पश्चात नि:स्वार्थ रूप से हिन्दी के प्रचार-प्रसार से जुड़े हमारे इन 12 सहयोगियों को श्री सकलानी जी ने शॉल एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
1. एकल विद्यालय फाउंडेशन ऑफ कैनेडा से श्री पुरुषोत्तम गुप्ता (अध्यक्ष) 2. वेदांत सोसायटी ऑफ टोरंटो से स्वामी कृपामयानंद जी(अध्यक्ष) 3. काश्मीर हिन्दू ओवरसीज़ एसोसियेशन ऑफ कैनेडा से विद्याभूषण धर (अध्यक्ष), 4. प्रकाश दाते (नाटक निर्देशक,रंगकर्मी) 5. महेंद्र भंडारी (अभिनेता, संयोजक) 6. पंकज शर्मा (साहित्यकार), 7. मानोशी चैटर्जी (साहित्यकार), 8. नैमेष नानावटी (रंगकर्मी), 9. इंद्रा वर्मा (साहित्यकार) 10. राज माहेश्वरी (कवि)11. जासमीन सावंत (रंगकर्मी) 12.सविता अग्रवाल
इतना ही नहीं सम्मान प्राप्त करने वालों ने हिन्दी के प्रचार प्रसार के कई सुझाव भी दिए और कई निर्णय भी लिए।
जासमीन सावंत थियेटर ग्रुप से जुड़ी हुई हैं। उनकी अनुपस्थिति में उनकी सहभागी और बहन श्रुति सावंत जी ने बताया कि हिंदी शॉर्ट नाटकों से अनेक हिंदी रंगकर्मियों को मंच पर अवसर मिले हैं। वह पिछले बीस वर्षों से नाटकों में काम कर रही हैं और आज भारत की आठ भाषाओं में नाटक कर रही हैं। आशा बर्मन जी का कहना था कि वेदांत सोसाइटी के अध्यक्ष कृपामयान्द जी नेपाली होते हुए भी हिन्दी की कविताओं में बहुत रुचि रखते हैं। पंकज शर्मा जी पंजाब से और विद्ध्या भूषण धर जी कश्मीर से हैं लेकिन हिन्दी के प्रति अगाध प्रेम रखते हैं उनका कहना है कि वह हिन्दी में लिखने और हिन्दी में बोलने पर गर्व महसूस करते हैं। वह हिन्दी बोलना कभी किसी हाल में नहीं छोड़ेगे। इंदिरा वर्मा जी ने हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए छोटे-छोटे गुटों में नहीं बल्कि हमें एकजुट हो कर काम करना होगा। उन्होंने हिन्दी के लिए आए दो ऐप का भी ज़िक्र किया तथा आश्वासन दिलाया कि वह गिल्ड के लिए हमेशा शेरपा का कार्य करती रहेंगी। एकल फाउंडेशन की ओर से पीयूष श्रीवास्तव जी ने गिल्ड के प्रयासों की विशेष तौर पर तरुण मंच की भरपूर प्रशंसा की। सविता अग्रवाल जी ने बच्चों के लिए चित्रों सहित छोटी-छोटी कविताओं की पुस्तकों का सुझाव दिया। संजीव अग्रवाल जी ने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। स्कूल अध्यापिका मानोशी चटर्जी ने सुझाया कि घर में सभी माता-पिता बच्चों के साथ हिन्दी में बात करें और उनके पढ़ने के लिए हिन्दी का बाल साहित्य अवश्य मंगवाएँ। हिन्दी के प्रचार के लिए वह स्वयं अपने स्कूल में हिन्दी का क्लब चलाने का विचार कर रही हैं। प्रकाश दाते जी नाटक निदेशक हैं उन्होंने कई नाटकों के अनुवाद कार्य में सहयोग किया है। नैमेष नानावटी मराठी भाषी होते हुए लम्बे समय से हिन्दी नाटकों में काम कर रहे हैं।
सभी मित्रों को सुनना और सभी से मिलना बहुत ही सुखद रहा l दोनों सत्रों में क्रमशः योगेश ममगाईं जी और संदीप कुमार जी के सशक्त संचालन ने इस साहित्यिक कार्यक्रम में चार चांँद लगा दिए और सत्र के अंत तक बखूबी कार्यक्रम को बाँधे रखा।
कार्यक्रम की सुंदर तस्वीरों तथा रिकॉर्डिंग के लिए तकनीकी निदेशिका पूनम चंद्रा ’मनु’ और पीयूष श्रीवास्तव जी का हार्दिक आभार।
आज के सफल आयोजन के लिए समस्त गिल्ड परिवार को बहुत-बहुत बधाई।

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