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सपनो का आकाश और सम्भावनाओ की धरती
का
विमोचन

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’विश्वरंग’ भारत में हुआ प्रवासी संकलनों सपनो का आकाश और सम्भावनाओ की धरती का विमोचन

कैनेडा के हिन्दी समाज के लिए नवम्बर 27, 2020 का दिन विशेष रहा। यहाँ के इतिहास में पहली बार गद्य-पद्य, दो संकलनों का प्रकाशन एक साथ हुआ। यहाँ यह बताना भी आवश्यक है कि अब तक कैनेडा से कोई गद्य संकलन प्रकाशित नहीं हुआ था। कैनेडा के ४१ कवियों का पद्य संकलन-’सपनों का आकाश’ और २१ लेखकों का गद्य संकलन-’संभावनाओं की धरती’ ई- पुस्तकों का विमोचन रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल द्वारा आयोजित, साहित्य और कला के विराट अंतरर्राष्ट्रीय कार्यक्रम ’विश्वरंग’ में ’किताबें करती हैं बातें’ सत्र में किया गया।
इस विमोचन समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति और इस कार्यक्रम के निदेशक डॉ. संतोष चौबे के साथ-साथ वरिष्ठ कथाकार एवं वनमाली सृजन पीठ के अध्यक्ष मुकेश वर्मा, वरिष्ठ कवि एवं संपादक महेन्द्र गगन, वरिष्ठ कला समीक्षक एवं टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केन्द्र के निदेशक विनय उपाध्याय, युवा कथाकार एवं संपादक कुणाल सिंह, युवा आलोचक अरुणेश शुक्ल, एवं वनमाली सृजन पीठ भोपाल के संयोजक संजय सिंह राठौर ने पुस्तकों पर विमर्श में रचनात्मक भागीदारी की।
कार्यक्रम का प्रारंभ चौबे जी ने विश्वविद्यालय और वनमाली सृजन पीठ के अनेक केंद्रों की ओर से प्रवासी पुस्तकों का स्वागत करते हुए वनमाली सृजन पीठ के उद्देश्य को बताया। तत्पश्चात संतोष चौबे जी ने कैनेडा पद्य संकलन का विमोचन सबको पुस्तक का आवरण दिखा कर किया तथा संपादकों सुमन कुमार घई और डॉ. शैलजा सक्सेना को बधाई दी। उन्होंने सह-संपादकों, आशा बर्मन और कृष्णा वर्मा तथा सुन्दर आवरण के लिए पूनम चंद्रा ’मनु’ तथा सभी 41 कवियों को रचनाओं के प्रकाशन पर साधुवाद दिया। उन्होंने डॉ. शैलजा सक्सेना द्वारा लिखित भूमिका में लिखित तथ्य कि समय और संसाधन सुविधा के कारण ’१९६० से लेकर अब तक प्रवासी लेखन विषयों में अंतर आ गया है’, से सहमति जताई। उन्होंने भूमिका में कवियों के विषय में लिखी इन पंक्तियों को विशेष रूप से उद्धृत किया, ’ये निरंतर अपने को माँज रहे हैं, शब्दों के बीच भावनाओं के गहरे रंग आँज रहे हैं, चिंतन की तलवार, जीवन के युद्ध में भाँज रहे हैं..! इनकी कविताएँ परिष्कार की राह पर जाती एक सामूहिक शक्ति मार्च की तरह हैं जो निश्चित ही अपने गंतव्य तक पहुँचेंगी।’
गद्य संकलन ’संभावनाओं की धरती’ पर बोलते हुए मुकेश वर्मा जी ने धर्मपाल महेन्द्र जैन द्वारा लिखित व्यंग्य का कुछ हिस्सा पढ़ते हुए उनके व्यंग्यों को भारत के व्यंग्यकारों से भी बेहतर बताया। डॉ. शैलजा सक्सेना के लेख, ’सुनो भई साधो’ को ’कबीर पर लिखा गया इस दशक का सबसे अच्छा लेख’ कहा और डॉ. हंसा दीप की कहानी ’काठ की हाँडी’ की संवेदनशीलता की चर्चा की।
कैनेडा के साथ ही कुछ अन्य देशों से आई पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया। इन पुस्तकों के विवरण इस प्रकार हैं।
सिंगापुर नवरस' नौ कवि, नौ रस, नीदरलैंड्स के हिंदी प्रेमियों का काव्य संग्रह... सरहदों के पार 'खिलते है गुल यहाँ’ आईसेक्ट पब्लिकेशन का लोकार्पण भी किया गया। इसका संपादन नलिनी पाठक विश्वास दुबे, शिवमोहन सिंह, डॉ. सोनी वर्मा, हर्षिता बाजपेई, ममता मिश्रा ने किया है। संपादकों के अतिरिक्त इसमें १७ कवियों की रचनाएँ हैं। अमेरिका की युवा रचनाकार विनीता तिवारी की उम्दा रचनाओं का ताजा संग्रह 'दिल से दिल तक', आईसेक्ट पब्लिकेशन , आस्ट्रेलिया के वरिष्ठ साहित्यकार हरिहर झा की रचनाओं का बेहतरीन संग्रह 'दुल्हन सी सजीली', आईसेक्ट पब्लिकेशन का लोकार्पण किया गया।
विश्व रंग 2019 की अनेक रिपोर्टों का संकलन वरिष्ठ कवि-संपादक महेन्द्र गगन ने "खबरों में विश्व रंग 2019’ को भी लोकार्पित किया गया।
इस कार्यक्रम की सफलता उसके दर्शकों की बड़ी संख्या के माध्यम से पता लग रही थी। सौजन्य- डॉ. शैलजा सक्सेना
डाउनलोड लिंक्स
1. संभावनाओं की धरती - कैनेडा गद्य संकलन
http://pustakbazaar.com/books/view/39
2. सपनों का आकाश - कैनेडा पद्य संकलन
http://pustakbazaar.com/books/view/37

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