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क्या तुमको भी ऐसा लगा

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‘क्या तुमको भी ऐसा लगा’ का विमोचन

8 जून 2014 को हिन्दी राइटर्स गिल्ड की मासिक गोष्ठी में डॉक्टर शैलजा सक्सेना जी के काव्य संकलन ‘क्या तुमको भी ऐसा लगा’ का विमोचन श्री रामेश्वर कांबोज ‘हिमांशु’ जी के द्वारा सम्पन्न हुआ।
सर्वप्रथम श्री विजय विक्रांत जी ने हिंदी राइटर्स गिल्ड की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। तदुपरांत श्रीमती मानोशी चटर्जी ने अपनी सुमधुर स्वर में सरस्वती वन्दना गाकर वातावरण को गरिमामय बनाया|
इसके पश्चात् श्री विक्रांत जी ने श्रीमती आशा बर्मन को मंच पर कार्यक्रम के संचालन का कार्यभार सँभालने के लिए निमंत्रित किया । आशा बर्मन ने शैलजाजी के काव्य संकलन तथा उनके विनम्र व्यक्तित्व को सराहा| उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि उनकी अनेक कविताएँ अब एक ही जगह पढ़ने को मिल सकेंगी | तदुपरांत शैलजाजी के काव्य संकलन ‘क्या तुमको भी ऐसा लगा’ का विमोचन श्री रामेश्वर कांबोज ‘हिमांशु’ जी के द्वारा हुआ। इसके साथ ही उन्होंने शैलजाजी की कविताओं की विवेचना की । डाक्टर शिवनन्दन सिंह यादव, डाक्टर भारतेंदु, जसबीर कालरवी जी और श्री श्याम त्रिपाठी ने शैलजाजी के काव्य संकलन ‘क्या तुमको भी ऐसा लगा’ के संबंध में अपने विचार प्रस्तुत किये ।
शैलजाजी की माताश्री श्रीमती रजनीजी ने अत्यंत गर्वबोध सहित सरस एवं भावपूर्ण शब्दों में शैलजा के बचपन के रोचक प्रसंग बताये। श्रीमती अचला दीप्ति कुमार तथा श्रीमती आशा बर्मन ने शैलजाजी के जीवन से सम्बंधित एक रोचक कविता प्रस्तुत की। निर्मल सिद्धू जी एवं श्रीमती कृष्णा वर्मा जी ने भी कविता द्वारा अपने भाव व्यक्त किये ।
इस कार्यक्रम में टोरांटो के सभी वरिष्ठ और प्रतिष्ठित कवि और लेखक उपस्थित थे| सौभाग्य का विषय है कि भूतपूर्व कांउसलेट जनरल श्री वी.पी.सिंह, विजय विक्रांत जी, अरुणा भटनागर जी, शरण श्रीवास्तव जी, सविता अग्रवाल जी, संदीप कुमार त्यागी जी, राज माहेश्वरी जी, पूनम कासलीवाल, लता पांडे, नीरज केसवानी, पूनम चंद्रा मनु आदि अनेक कवि वहां थे। कार्यक्रम के अंत में मानोशी चटर्जी ने अपने मधुर स्वर में शैलजा द्वारा रचित एक गीत सुना कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के अंत में श्री विकास सक्सेना ने सभी को धन्यवाद देकर अल्पाहार के लिए आमंत्रित किया ।
डा० शैलजा सक्सेना के पहले काव्य संग्रह के विमोचन पर कृष्णा वर्मा द्वारा कविता के रूप में हार्दिक शुभकामनाएं ।
कद पद ऊँचा शैल सा है नभ सा ऊँचा ज्ञान
सहज सरल अति सौम्य सी तनिक नहीं अभिमान
प्रेम पगी वाणी मधुर खिले आनन मुसकान
अद्भुत अस्तित्व मोहक व्यक्तित्व विशिष्ट गुणों की खान
पथ प्रशस्त हो आपका ऊँची भरें उड़ान
डगर लक्ष्य से पूर्ण हो मिले परम सम्मान
सतत सृजन करे लेखनी ज्यों गंगा की धार
प्रवासी हिन्दी साहित्य में जोड़ें कड़ियाँ अहम हज़ार
नित यूँही अवसर हर्ष के आएं बारम्बार
गौरव को महसूस करे हो गद-गद गिल्ड परिवार ।
कृष्णा वर्मा

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