कवि-गोष्ठी2008
27 सितम्बर, 2008 – ओकविल (ओण्टेरियो, कैनेडा) की ग्लैन ऐबे लाइब्रेरी के सभागार में हिन्दी राइटर्स गिल्ड की पहली कार्यशाला और काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी के प्रायोजक (Sponser) पाराशर गौड़ थे। दोपहर के 1:30 बजे के लगभग सभी साहित्यप्रेमी आ चुके थे किन्तु पाराशर गौड़ ट्रैफिक में उलझ गए तो कार्यक्रम कुछ देर उनकी प्रतीक्षा करने के बाद विजय विक्रान्त जी कार्यक्रम आरम्भ किया। सुमन घई ने हिन्दी राइटर्स गिल्ड के भविष्य के कार्यक्रमों की सूचना दी। इतने में पाराशर जी पहुँच चुके थे। उन्होंने सरस्वती-दीप प्रज्ज्वलित किया और सभी उपस्थितजनों का स्वागत किया। इस कार्यक्रम और कार्यशाला की सूत्रधार डॉ. शैलजा सक्सेना थीं। उन्होंने इस काव्य-कार्यशाला का आरम्भ करते हुए स्थानीय साहित्यिक गतिविधियों की चर्चा की और ‘एक अच्छी कविता क्या है?’ का प्रश्न उपस्थित रचनाकारों के सामने रखा। इस कार्यशाला का एक अंग यह भी था कि काव्य पाठ करने पहले कवि या कवयित्री इस प्रश्न का उत्तर दें। डॉ. शैलजा सक्सेना ने अपना प्रथम वक्तव्य समाप्त करते हुए आशा बर्मन को वन्दना गायन के लिए आमन्त्रित किया। आशा जी ने सोम ठाकुर द्वारा रचित “भाषा वन्दना” अपने मधुर स्वर में गाई। जैसा कि ऊपर कहा गया है इस कार्यक्रम में सभी कवियों से कहा गया था कि वे अपनी कविता पाठ से पहले कुछ शब्दों में बताएँ कि वे कविता क्यों लिखते हैं और उनके अनुसार कविता की परिभाषा क्या है। शैलजा जी ने हर कवि की परिभाषा और कविता के भाव को बहुत कुशलता के साथ काव्य-शास्त्रियों की परिभाषाओं से जोड़ा। इस काव्य-गोष्ठी और कार्यशाला में भाग लेने वाले कवियों के नाम इस प्रकार हैं – आशा बर्मन, सरण घई, संदीप त्यागी, राकेश तिवारी, मानोशी चटर्जी, सविता अग्रवाल, ऋतु बहादुर, जसबीर ’कालरवि’, लता पाण्डे, भगवतशरण श्रीवास्तव, प्रीति धामने, सुमन कुमार घई, विजय विक्रान्त, उमा दत्त दूबे, पाराशर गौड़ और डॉ. शैलजा सक्सेना। कार्यक्रम लगभग साँय के ४.३० तक चला। इस काव्य-गोष्ठी की सभी रचनाएँ उत्तम कोटि की थीं। ये रचनाएँ और डॉ. शैलजा सक्सेना की ‘कविता की परिभाषा : काव्य-शास्त्रियों के शब्दों में’ पाठक हिन्दी राइटर्स गिल्ड के ब्लॉग पर सुन सकते हैं।