नववर्ष गोष्ठी2016
9 जनवरी 2016 - हिंदी साहित्य के क्षेत्र में कार्यरत कैनेडा की जानी मानी संस्था हिंदी राइटर्स गिल्ड की इस वर्ष की प्रथम मासिक गोष्ठी ९ जनवरी २०१६ को १५० सेन्ट्रल पार्क ड्राइव, चिन्कूज़ी लाइब्ररी, ब्राम्पटन में २ से ५ बजे तक अत्यंत हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुई। सर्वप्रथम सब सदस्यों ने आपस में एक दूसरे से गले मिलकर नव वर्ष की शुभ कामनाओं का आदान-प्रदान किया। तत्पश्चात् श्रीमती प्रेमलता पाण्डेय ने संचालिका के रूप में मंच सँभालते हुए सबका स्वागत किया और नव वर्ष की शुभ कामनाएँ दीं। कार्यक्रम दो भाग में संपन्न हुआ। प्रथम भाग में संस्था के संस्थापक निदेशक श्री सुमन कुमार घई जी को मंच पर आमंत्रित किया गया। सुमन जी ने एक कार्यशाला की जिसमें उन्होंने कंप्यूटर पर हिंदी लेखन की सुविधा और लेखन में ध्यान रखने योग्य विराम-चिह्नों आदि के बारे में जानकारी दी जो कि लेखकों के लिए अत्यंत उपयोगी है। शब्दों को सही रूप में लिखने पर भी चर्चा हुई। यह कार्यशाला लगभग एक घंटा चली और सभी सदस्यों के लिए उत्साह-वर्धक रही। उसके बाद जलपान के लिए मध्यांतर हुआ। इस जलपान का आयोजन संस्था की संस्थापक निदेशिका डॉ. शैलजा सक्सेना की ओर से किया गया जिसमें लोहड़ी एवं संक्रांति के उपलक्ष्य में रेवड़ी, पॉप कोर्न, बर्फ़ी और समोसों का प्रबंध किया गया था। श्री और श्रीमती सुरेश पाण्डेय की ओर से भी गुलाब जामुन परोसे गए थे। सभी ने चाय के साथ समोसों और मिठाइयों का आनंद उठाया। कार्यक्रम के दूसरे भाग में कविता-पाठ किया गया। सर्वप्रथम संचालिका श्रीमती प्रेम लता पांडे ने नए सदस्यों से परिचय कराया जो कि इस सभा में पहली बार पधारे थे, और उनको कविता पाठ के लिए आमंत्रित किया। जिनमें श्री अखिल भंडारी, जो कि हास्य व्यंग्य के कवि हैं, ने अपनी दो ग़ज़लें सुनाईं। ये थीं ‘इस अनजान शहर में किसको ढूँढ रहा हूँ मैं ...’ और ‘कुछ नुक्सान तो वाजिब था, उसकी फ़ितरत मेरा दिल....’। इसके बाद दूसरी कवयित्री कुलदीप जी को आमंत्रित किया गया। जिन्होंने मदर टेरेसा पर आधारित अपनी रचना, ‘विघटन के खंडहर पर खड़ा समाज....’ और दहेज़ प्रथा पर आधारित एक कविता सुनायी। तीसरे कवि देवांशु नारंग ने कैनेडा प्रवास में कठिनाइयों से सम्बंधित रचना में अपने दर्द की अभिव्यक्ति की। तत्पश्चात श्रीमती भुवनेश्वरी पाण्डेय ने अपनी रचना ‘मित्र तुम मौन रहो’, श्री निर्मल सिद्धू ने पठानकोट घटना पर आधारित रचना ‘सवाल जब कड़वाहट की नोंक पर जन्म लेते हैं...’, श्री अजय गुप्ता ने अपने अनोखे अंदाज़ में ‘अरे तेरी, फिर देर हो गयी...’, डॉ. इंदु रायज़ादा ने ‘पत्थर और मनुष्य....’ एवं ‘चिट्ठियाँ...’ का पाठ किया। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए श्रीमती कैलाश महंत ने प्रकृति पर एक सुन्दर रचना, श्री मुकेश मखीजा ने नव वर्ष पर अपनी कविता प्रस्तुत की| डॉ. जगमोहन सांघा ने ‘ज़िंदगी के गुलदस्ते में...’, डॉ. शैलजा सक्सेना ने ‘मन बच्चा ....’, श्रीमती आशा बर्मन ने ‘संबंधों को निभाना इतना सरल नहीं ....’, श्री जोगिन्दर अणखिला ने पंजाबी की शेरो-शायरी से सब का मन मोह लिया। श्रीमती मानोशी चटर्जी ने भी अपने ख़ूबसूरत अंदाज़ में कुछ शेर पढ़े। श्री सुमन कुमार घई ने पहले सुप्रसिद्ध लेखक श्री हरि शंकर आदेश जी की एक कविता नव वर्ष पर और फिर उसके उत्तर में लिखी गयी अपनी एक कविता सुनाई। श्रीमती कृष्णा वर्मा ने नव वर्ष पर कुछ हाइकु और तांका पढ़े और नव वर्ष पर ही एक कविता सुनायी। कमांडर संजीव अग्रवाल ने अंतर्जाल से प्राप्त एक अत्यंत मार्मिक कविता, सैनिक, जब वो युद्ध में घायल हो जाता है तो अपने साथी से कहता है, ‘साथी घर जाकर मत कहना, संकेतों में बतला देना...’ सुनायी, श्रीमती सविता अग्रवाल 'सवि' ने ‘शहीद की एक छोटी सी आशा...’ तथा नव वर्ष पर एक कविता प्रस्तुत की, पूनम चंद्रा ‘मनु’ ने नव वर्ष पर एक कविता पाठ किया। अंत में कार्यक्रम की संचालिका श्रीमती प्रेमलता पाण्डेय ने ‘प्रकृति के साथ...’ नामक कविता से सबको मुग्ध किया। समय अभी हो चला था फिर भी सबके अनुरोध पर मानोशी चटर्जी ने नव वर्ष पर अपनी सुरीली आवाज़ में एक मधुर गीत प्रस्तुत किया। इस प्रकार कार्यक्रम का समापन हुआ। नव वर्ष की पहली गोष्ठी बहुत सफ़ल रही, जिसमें लगभग चालीस लेखकों और श्रोताओं ने सम्मिलित होकर कैनेडा में हिंदी साहित्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का उत्साहपूर्वक परिचय दिया।